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    'भारत की ओर से विश्व को अमूल्य सौगात', यूपी के पहले आयुष विवि के लोकार्पण पर क्या बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु?

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोरखपुर में पहले आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण को आयुर्वेद के पुनर्जागरण का उत्सव बताया। उन्होंने आयुर्वेद को विश्व समुदाय के लिए भारत की अनमोल भेंट कहा। राष्ट्रपति ने विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास करने पर जोर दिया और योग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ ने योग को पुनर्जीवित किया।

    By Rajnish Kumar Tripathi Edited By: Aysha Sheikh Updated: Tue, 01 Jul 2025 05:08 PM (IST)
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    विकसित भारत के लिए अथक और निद्राजीत बनना होगा : राष्ट्रपति

    रजनीश त्रिपाठी,  गोरखपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गोरखपुर में प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह को आयुर्वेद के पुनर्जागरण का उत्सव बताया। कहा आयुर्वेद भारत की ओर से विश्व समुदाय को अमूल्य सौगात है। महामहिम ने विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए बिना थके चलते रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसमें योग की भूमिका और महत्व को भी रेखांकित किया।

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    राष्ट्रपति ने अथक और निद्राजीत बनने की प्रेरणा देते हुए योग को इसमें सहायक बताया। दो दिवसीय प्रवास पर सोमवार को गोरखपुर पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार दोपहर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में भटहट के पिपरी में प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया।

    अपने संबोधन में गोरखपुर को तपस्या, साधना और अध्यात्म की धरती बताकर इसे प्रणाम करते हुए कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य के बाद गुरु गोरखनाथ जैसा प्रभावशाली और महिमापूर्ण महापुरुष भारतवर्ष में दूसरा नहीं हुआ।

    महामहिम ने महाकवि तुलसीदास की पंक्ति गोरख जगायो जोग का उद्धरण देते हुए बताया कि गोस्वामी जी ने भी इस बात को कहा था कि गुरु गोरखनाथ ने योग को फिर से जगाया है। परमहंस योगानंद की जन्मभूमि गोरखपुर वालों के लिए यह गर्व का विषय है, क्योंकि वह उस धरा से जुड़े हैं, जिसने मानव कल्याण और मानवता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

    गोरखपुर की समृद्धशाली धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से परिचित हुईं महामहिम ने स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व और पश्चात के आंदोलन में नाथ योगियों के योगदान की चर्चा की। इस क्रम में उन्होंने पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और बलिदानी बंधु सिंह को भी याद किया।

    एक सदी से भारतीय जनमानस को धर्म और संस्कृति से जोड़ते हुए सनातन के प्रचार प्रसार में जुटी संस्था गीताप्रेस का आभार जताया कि संस्था की ओर से उन्हें उड़िया भाषा में लिखी श्रीमद्भगवदगीता और भागवतकथा की पुस्तकें भेंट स्वरूप मिलीं। राष्ट्रपति ने इन पुस्तकों को गोरखपुर की अमूल्य सौगात बताते हुए स्मृतियों में सदैव सुरक्षित रखने की बात कही।

    गोरखपुर के मूलभूत ढांचे और यहां का औद्योगिक विकास देख व सुनकर हर्षित राष्ट्रपति ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदृष्टि को दिया तो जनता से इसके लिए कृतज्ञता का भाव रखने की अपील की। आयुष विश्वविद्यालय को प्रदेश नहीं, देश की चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में मील का पत्थर बताते हुए खुद को सौभाग्शाली बताया कि इसके लोकार्पण का अवसर उन्हें मिला।

    यहां रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के साथ प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों और शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा। राष्ट्रपति ने अधिकाधिक परिश्रम में योग की भूमिका और महत्व को उदाहरण के साथ रेखांकित किया। इसके लिए संस्मरण सुनाया। बताया कि जब वह जनसेवा के क्षेत्र में आईं तो उनसे अथक बनने को कहा गया। मतलब थकना मना है। दिन-रात चलना है।

    निद्राजीत बनना है। नींद पर विजय पानी है। मैंने कहा कि डाक्टर तो छह से आठ घंटे सोने के लिए बोलते हैं। ऐसा न करनें पर शरीर साथ नहीं देगा। आज यहां आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को सशक्त बनाने में योग महत्वपूर्ण है।

    योग के माध्यम से आठ घंटे की नींद तीन घंटे में पूरी की जा सकती है। यानी अथक और निद्राजीत बनने में योग सहायक है। मैं यहां की जनता को बधाई देना चाहती हूं कि योगी आदित्यनाथ के अथक परिश्रम, जनता के प्रति उनके समर्पण से यहां के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी सुविधाएं जनता को समर्पित हो रही हैं।

    राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि जनप्रतिनिधि अथक परिश्रम कर निद्राजीत बनते हैं। जनता को सुविधाएं मिले इसके लिए दिन-रात चलते हैं। इसलिए संस्थाओं के अधिकारी, डाक्टर, नर्स को भी निद्राजीत बनना होगा। धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष आरोग्य की उत्तम आधारशिला आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और सिद्धा जैसी भारत की प्राचीन विधा को जीवन जीने की वैज्ञानिक पद्धति बताते हुए दिनचर्या, ऋतुचर्या और रात्रिचर्या को अपनाने पर जोर दिया।

    कहा कि आहार, विहार और विचार से जुड़ी यह जीवनशैली स्वस्थ्य शरीर और मन के लिए आवश्यक है। राष्ट्रपति ने अथक परिश्रम करने पर जोर देते हुए कहा कि स्वास्थ्य ठीक रहेगा तभी भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र और विश्व गुरु का दर्जा हासिल कर सकेगा।

    उन्होंने आरोग्य को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की उत्तम आधारशिला बताते हुए प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को अपनाने पर जोर देते हुए इसे पूरी तरह वैज्ञानिक बताया। कहा कि एलोपैथ में दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं, लेकिन आयुर्वेद में दवाएं खराब नहीं होतीं। इसी से आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति के वैज्ञानिक होने का प्रमाण मिलता है। राष्ट्रपति ने आयुर्वेद को धरती से जोड़ते हुए इसे किसानों के लिए लाभकारी भी बताया।

    विदेशी चिकित्सा पद्धतियों को उनसे ज्यादा हमने अपनाया वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा को आत्मसात करने वाली भारतीय परंपरा में हमने विदेशी चिकित्सा पद्धतियों को अपनाया है। जर्मनी में विकसित होम्योपैथ हो या यूनान और मध्यएशिया में विकसित युनानी चिकित्सा पद्धति।

    इनका उपयोग आज उन देशों में उतना नहीं होता, जितना भारत में होता है। 2014 में केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय और 2017 में उप्र सरकार ने आयुष विभाग खोलकर भारत में प्रचलित इन पद्धतियों को ऊर्जा देने का काम किया है। आज का यह समारोह आयुर्वेद के पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण उत्सव है। आयुर्वेद में समाहित योग, सिद्धा, प्राकृतिक चिकित्सा भारत की ओर से विश्व समुदाय को अमूल्य सौगात है।