Ayush Kidnapping Murder Case: फिल्म देखकर बनाया अपहरण कर फिरौती वसूलने का प्लान, घर बसाने को ली भतीजे की जान
Ayush Kidnapping Murder Case In Gorakhpur चार लाख रुपये के लिए रिश्ते के चाचा ने स्कूल से लौट रहे भतीजे आयुष का अपहरण कर गला दबाकर हत्या कर दी। पूछता ...और पढ़ें

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Ayush Kidnapping Murder Case: अपहरण कर फिरौती वसूलने का प्लान राम सिंह ने फिल्म देखकर बनाया था। एक माह से इसकी तैयारी में था। प्लान के अनुसार फिरौती की रकम मिलने के बाद वह बालक की हत्या कर शव को जला देता, लेकिन अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हुआ। पुलिस की पूछताछ में राम सिंह ने बताया कि दो जून को बहन और पांच जून को उसकी शादी तय थी। शादी की तैयारी में जुटे स्वजन चार लाख रुपये का इंतजाम करने का दबाव बना रहे थे। कोई रास्ता न सूझने पर उसने फिल्म देखने के बाद अपहरण कर फिरौती वसूलने का प्लान बनाया।
20 दिन पहले भी एक बच्चे को ले गया था पर नहीं हुआ था कामयाब
20 दिन पहले पड़ोस में रहने वाले एक बालक को अपने साथ बाइक से लेकर निकला तो गांव के लोगों ने देख लिया, जिसके बाद घर लौटना पड़ा। साथ में काम करने वाले सत्यनारायण के पास छह से सात लाख रुपये होने की सूचना पर उसके बेटे आयुष का अपहरण कर चार लाख रुपये फिरौती वसूलने का प्लान बनाया। यकीन था कि एकलौते बेटे को बचाने के लिए वह अपने रुपये दे देगा। रुपये मिलने के बाद वह आयुष की हत्या कर देता, तब तक हाथ-पैर व मुंह बांधकर पुलिया के नीचे छिपाए रखता। आयुष से जान-पहचान बढ़ाने के लिए वह उसे चॉकलेट, बिस्किट व चिप्स खिलाता था। भरोसा जीतने के बाद बुधवार को साथ लेकर चला गया।
हैवानियत की जताई जा रही आशंका
स्वजन के साथ ही गांव के लोगों को आशंका है कि राम सिंह ने बच्चे के साथ हैवानियत भी की होगी। हालांकि पुलिस इससे इंकार कर रही है। एसएसपी का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी। पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर ने विसरा के साथ स्वाब भी सुरक्षित किया है।
छह घंटे पुलिस को किया गुमराह
अपहरण का आरोप लगने के बाद हरपुर-बुदहट थाना पुलिस ने शाम पांच बजे राम सिंह को हिरासत में ले लिया। छह घंटे उससे पूछताछ चली, लेकिन वह इन्कार करता रहा। कड़ाई करने पर मुंह खोला। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस अगर शाम को सख्त हुई होती तो आयुष की जान बच जाती।
घर बसाने के लिए छीन ली परिवार की खुशी
स्वार्थ में अंधे हो चुके राम सिंह ने अपना और बहन का घर बसाने के लिए छोटा भाई मानने वाले सत्यनारायण के परिवार की खुशी छीन ली। सत्यनारायण कैंसर से पहली और बीमारी से दूसरी पत्नी की मृत्यु होने के बाद बच्चों को पाल रहे थे। जेल से छूटे राम सिंह की आर्थिक तंगी को देख फैक्ट्री में सिफारिश करके नौकरी लगवाई, लेकिन उसी ने परिवार की खुशी छीन ली।

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