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    पुलिस जीडी हुई आनलाइन पर नहीं बदले अरबी-फारसी के शब्द

    By Navneet Prakash TripathiEdited By:
    Updated: Mon, 27 Dec 2021 08:50 AM (IST)

    पता नहीं अरबी-फारसी में लिखे शब्द आप कितना समझते हैं लेकिन पुलिस विभाग की शब्दावली में शामिल यह शब्द जीडी व आनलाइन एफआइआर में रोज दर्ज होते हैं। फारसी ...और पढ़ें

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    पुलिस जीडी हुई आनलाइन पर नहीं बदले अरबी-फारसी के शब्द। प्रतीकात्‍मक फोटो

    गोरखपुर, प्रदीप कुमार गौड़। पता नहीं अरबी-फारसी में लिखे शब्द आप कितना समझते हैं, लेकिन पुलिस विभाग की शब्दावली में शामिल यह शब्द जीडी व आनलाइन एफआइआर में रोज दर्ज होते हैं। फारसी, अरबी व उर्दू के शब्दों को जीडी में लिखने वाले पुलिसकर्मी भी इसे नहीं समझते । फिर भी वह विभाग की परिपाटी पर चलते हुए इसे लिख रहे हैं। महराजगंज जिले में कार्यरत पुलिसकर्मियों की नई पीढ़ी के लिए भी यह शब्‍दावली मुश्किल पेश कर रही है।

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    परंपरागत रूप से इस्‍तेमाल होते चले आ रहे उर्दू, फारसी के शब्‍द

    पुलिस विभाग को डिजिटल करने के लिए वर्ष 2016 में सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम) की हुई पहली भर्ती के बाद माना जा रहा था कि अब फारसी व उर्दू के भाषा के साथ हिन्दी को भी तवज्जो मिलेगी। हिंदी व अंग्रेजी आधारित सीसीटीएनएस व्यवस्था में उच्च शिक्षा व कंप्यूटर ज्ञान लेकर भर्ती हुए नए युवाओं से उम्मीद जगी थी। फिर भी कुछ नया नहीं हो सका और भर्ती हुए युवा भी पुलिस की पुरानी परिपाटी पर चलते हुए फ़ारसी व उर्दू के शब्दों का ही प्रयोग करने लगे। एफआइआर व जीडी ऑनलाइन होने के बाद भी सभी एफआइआर में फ़ारसी व उर्दू के शब्द चिक किता, रपट हाजा, कायमी मुकदमा, तारीखी इमरोज़ा, रुखसत, नकल चिक, नकल रपट, अफ़सरान आदि शब्दों का प्रयोग हो रहा है। जबकि इन शब्दों का अर्थ न तो एफआइआर लिखने वाला जानता है और न लिखवाने वाला।

    वर्ष 1996 से नहीं हुई उर्दू अनुवादक की भर्ती

    पुलिस विभाग में पहले उर्दू भाषा को पढ़ने के लिए अनुवादक की भर्ती हुआ करती थी। जिसकी अंतिम भर्ती वर्ष 1995 में की गई । उसके बाद भाषा सुधार के नाम पर 1996 से उर्दू अनुवादक की भर्ती नहीं की गई। जिसके बाद वर्ष 2011 में हिंदी व अंग्रेजी पर आधारित सीसीटीएनएस की व्यवस्था शुरू हुई। जिसकी पहली भर्ती वर्ष 2016 में की गई।

    इन शब्दों का ज्यादा प्रयोग करती है पुलिस

    अदम तामील - सूचित न होना

    अदम तकमीला - अंकन न होना

    अदम मौजूदगी - बिना उपस्थिति

    अहकाम - महत्वपूर्ण

    गोस्वारा - नक्शा

    फर्द अफराद - एक व्यक्ति

    माल मसरूका - लूटी अथवा चोरी गई संपत्ति

    मजरूब - पीड़ित

    मुजामत- झगड़ा

    मुचलका - व्यक्तिगत पत्र

    रोजनामचा आम - सामान्य दैनिक

    रोजनामचा खास - अपराध दैनिक

    सफीना - बुलावा पत्र

    हाजा - स्थान अथवा परिसर

    चिक खुराक - थाने पर आरोपित के खाने पर हुआ खर्च

    नकल रपट - किसी लेख की नकल

    नकल चिक - एफआइआर की प्रति

    मौका मुरत्तिब - घटनास्थल पर की गई कार्रवाई

    बाइस्तवा - शक, संदेह

    तरमीम - बदलाव करना अथवा बदलना

    चस्पा - चिपकाना

    जरे खुराक - खाने का पैसा

    जामा तलाशी - वस्त्रों की छानबीन

    बयान तहरीर - लिखित कथन

    नक्शे अमन - शांतिभंग

    न समझ आने वाले शब्‍दों पर लगाई जा रही है रोक

    पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्‍ता ने कहा कि हिंदी व अंग्रेजी के शब्दों का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए विभाग को निर्देशित किया जाएगा। साथ ही लोगों के नहीं समझ में आने वाले फारसी व उर्दू शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाई जाएगी।