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    Gorakhpur News: घूस लेते चकबंदी लेखपाल गिरफ्तार, पत्रावली का निस्तारण कराने को मांग रहे थे 12 हजार

    एंटी करप्शन की टीम ने सिटी माल के पास से शुक्रवार को चकबंदी लेखपाल को दबोच लिया। आजमगढ़ का रहने वाला लेखपाल सहजनवां तहसील में तैनात है । वह पत्रावली का निस्तारण कराने के लिए 12 हजार रुपये मांग रहे थे। ट्रैप टीम के प्रभारी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 व 2018 के तहत लेखपाल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया।

    By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 06 Oct 2023 03:40 PM (IST)
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    गोरखपुर में घूस लेते चकबंदी लेखपाल गिरफ्तार। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एंटी करप्शन की टीम ने चकबंदी लेखपाल को शुक्रवार की सुबह सिटी माल के पास 10 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया। आजमगढ़ जिले के तरवा, लोहरपुर का रहने वाला लेखपाल सहजनवां तहसील में तैनात है। ट्रैप टीम के प्रभारी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 व 2018 के तहत लेखपाल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया। दोपहर बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।

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    यह है मामला

    नगर निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी कौशल त्रिपाठी बुदहट गांव के नगरा टोला पर रहते हैं। पट्टीदार मनोज शुक्ल से पुस्तैनी भूमि के बंटवारे को लेकर सीओ चकबंदी के यहां मुकदमा चल रहा था, जिसका निस्तारण अधिकारियों ने कर दिया। चकबंदी लेखपाल अरविंद राम पत्रावली का निस्तारण करने के लिए दोनों पक्ष से 12-12 हजार रुपये मांग रहे थे। बात न मानने पर पत्रावली निस्तारित न करने की धमकी दे रहे थे।

    दो दिन पहले कौशल ने मामले की जानकारी एंटी करप्शन थाना के प्रभारी एसके दीक्षित को दी। उनके कहने पर शुक्रवार की सुबह 11 बजे लेखपाल अरविंद को रुपये देने के लिए सिटी माल के पास बुलाया, जहां एंटी करप्शन की टीम ने लेखपाल को 10 हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ पकड़ लिया। एएसपी/सीओ कैंट मानुष पारीक ने बताया कि चकबंदी लेखपाल अरविंद राम आजमगढ़ जिले के तरवा, लोहरपुर का रहने वाला है।

    बुदहट गांव में लगी थी चौपाल

    सहजनवां तहसील का बुदहट गांव चकबंदी में है। लंबित मामले का निस्तारण करने के लिए चकबंदी के अधिकारियों ने 26 सितंबर को गांव में चौपाल लगाई थी। सीओ चकबंदी ने चौपाल में ही कौशल शुक्ल व उनके पट्टीदार के बीच चल रहे मुकदमे का निस्तारण करा दिया। दोनों पक्ष ने सहमति जताते हुए समझौता कर लिया। अधिकारियों के जाने पर लेखपाल अरविंद राम दोनों पक्ष से पत्रावली का निस्तारण करने के लिए रुपये देने का दबाव बनाने लगा। मनुहार के बाद भी न मानने पर एंटी करप्शन थाने में पहुंचकर प्रभारी को मामले की जानकारी दी।

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