‘स्वास्थ्य ही संपदा, लोगों को देते रहिए’, एम्स गोरखपुर के दीक्षा समारोह को महामहिम द्रौपदी मुर्मु ने किया संबोधित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एम्स गोरखपुर के दीक्षा समारोह में कहा कि चिकित्सा लोगों के साथ देश सेवा का माध्यम है। स्वस्थ नागरिक राष्ट्र की उन्नति में भागीदार होते हैं। उन्होंने मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने में एम्स के योगदान को सराहा। राष्ट्रपति ने एम्स को स्वास्थ्य सेवा क्षमता का प्रतीक बताया और डॉक्टरों से वंचित समुदायों के लिए काम करने का आग्रह किया।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। चिकित्सा लोगों के साथ-साथ देश की सेवा का माध्यम भी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को एम्स गोरखपुर के दीक्षा समारोह में उपाधि पाने वाले चिकित्सकों को न सिर्फ यह बताया, बल्कि उन्हें समझाया भी कि किस तरह वे धैर्य एवं समर्पण के साथ काम करते हुए स्वस्थ समाज की नींव रखते हैं।
जब देश के नागरिक स्वस्थ होते हैं तो उनके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है और वह राष्ट्र की उन्नति में भागीदार बनते हैं। आप के उपचार से किसी दरिद्र रोगी या उसके परिवारजन के चेहरे पर जो मुस्कान देखने को मिलेगी, उसकी तुलना अर्थ से नहीं की जा सकती है।
इससे जो सुकून मिलेगा, जो खुशी मिलेगी उसे आर्थिक या सामाजिक रूप से तुलना नहीं की जा सकती। स्वास्थ्य को ही असली संपदा बताते हुए कहा कि इसे लोगों को बांटते रहिए। इसी के साथ महामहिम ने मेडिकल टूरिज्म के फलक पर भारत की वैश्विक कीर्ति को लेकर एम्स के योगदान को रेखांकित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स का नाम सुनते ही मन में विश्व स्तरीय उपचार, आधुनिक तकनीक और समर्पित डॉक्टरों की छवि उभरती है। यह संस्थान भारत की स्वास्थ्य सेवा क्षमता का प्रतीक है और हर मरीज के लिए नई उम्मीद की किरण बनता है।
एम्स ने चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। यहां आयुष और एलोपैथी का संयोजन, प्रारंभिक निदान की तकनीक और नई सर्जरी विधियों को अपनाया गया है।
उत्कृष्टता की ओर अग्रसर गोरखपुर एम्स की शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा सेवाओं में तेजी से हुई प्रगति की महामहिम ने सराहना की। कहा कि यह संस्थान हर वर्ग के नागरिकों को सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों के लोगों के लिए यह एक उत्कृष्ट चिकित्सा केंद्र के रूप में उभर रहा है।
संवेदना और सेवा भाव काे महत्व देने की अपील करते हुए कहा कि डॉक्टर समाज और देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे केवल रोगों का इलाज ही नहीं करते, बल्कि एक स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं। स्वस्थ नागरिक ही देश की प्रगति में सहभागी बन सकते हैं।
उन्होंने युवा डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे समाज के उन वर्गों के लिए कार्य करें जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सबसे अधिक आवश्यकता है। उन्होंने यह रेखांकित किया कि आज भी कई ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में वंचित समुदायों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा डाक्टर इस दिशा में सोचेंगे और ऐसे क्षेत्रों व लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कार्य करेंगे।
महामहिम ने चिकित्सा क्षेत्र में संवेदना को अत्यंत आवश्यक है।आग्रह किया कि वे ऐसी व्यवस्था बनाएं जिसमें छात्र रोगी से संवाद, विश्वास निर्माण, और सेवा भावना जैसे पहलुओं को शुरू से ही सीखें और अपनाएं।
उन्होंने डाक्टरों को सलाह दी कि वे हमेशा याद रखें कि चिकित्सा केवल एक पेशे नहीं बल्कि मानवता की सेवा है। अपने जीवन में दया और ईमानदारी को अपना व्यक्तित्व बनाएं।
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