सर्जरी कर बनाया शौच का रास्ता
गोरखपुर : सीमित संसाधनों में भी मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने बारह साल के एक मरीज की मुश्किल सर्जरी कर शौच का रास्ता बनाया। पहले ही तीन सर्जरी के चलते बेहद नाजुक हो चुकी मरीज की हालत के बावजूद चौथी सर्जरी मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक सर्जन डा. तनवीर रौशन खान ने चार घंटे में की। इस दौरान मरीज के शौच का एक रास्ता बंद कर उसे सही जगह पर बनाया गया।
कुशीनगर निवासी बारह साल का राजू सर्जरी के बाद मेडिकल कालेज के वार्ड संख्या आठ में भर्ती है। मरीज स्वस्थ है और खा-पी रहा है। सर्जरी करने वाले डा. तनवीर रौशन खान के अनुसार जब बच्चा पैदा हुआ तो उसके शौच का रास्ता नहीं था। उस समय एक सर्जन को दिखाया गया जिन्होंने पेट से ही शौच का रास्ता बना दिया और मरीज से इंतजार करने को कहा। बाद में सर्जरी का यह रास्ता भी बंद कर दूसरी जगह बना दिया गया। बच्चा सही दिशा- निर्देश सुविधाओं के अभाव में इधर-उधर भटकता रहा। पिछले साल उसकी आंत फंस जाने से तीसरा आपरेशन करना पड़ा एवं शौच का एक और रास्ता बनाया गया।
इससे मरीज की मुसीबत बढ़ गई। आपरेशन के बाद पहले के दोनों रास्ते बाहर निकलने लगे, साथ ही बच्चे का विकास भी प्रभावित हो रहा था। गंभीर स्थिति में बच्चा बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग की ओपीडी में पहुंचा। डा. तनवीर रौशन के अनुसार प्रथम दृष्टया मरीज की हालत काफी भयावह लग रही थी। पहले तीन आपरेशन होने के बाद चौथा आपरेशन करना बेहद जटिल काम था। इसके बावजूद सर्जरी का निर्णय लिया गया। ऐसे मरीजों की सर्जरी बाहर के बड़े अस्पतालों में ही संभव है।
इस बीमारी को ऐना रेक्टर मालफार्मेशन कहते हैं। यह भारत में चार से पांच हजार बच्चों में किसी एक को होती है। ऐसे बच्चे में जन्म के समय मलद्वार नहीं बना होता है। अन्य अंगों में भी गड़बड़ी हो सकती है, जिसका इलाज सर्जरी से ही हो सकता है। सही समय पर इलाज नहीं होना जानलेवा हो सकता है। पचास से साठ फीसद बच्चे यदि चौबीस घंटे के भीतर पीडियाट्रिक सर्जन के संपर्क में आ जायं तो यह आपरेशन एक बार में ही हो सकता है, पर उचित सलाह के अभाव में स्थिति काफी जटिल हो सकता है। मेडिकल कालेज में हुए इस आपरेशन में डा. तनवीर के साथ ही रेजीडेंट डा. प्रदीप के साथ ही एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक मालवीय व डा. संतोष मौजूद थे।
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