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    एक हेक्टेयर खेत से मिला 80 क्विंटल गेहूं, किसानों के बीच छा गए सुरेंद्र

    By Navneet Prakash TripathiEdited By:
    Updated: Fri, 24 Dec 2021 07:30 AM (IST)

    रबी के बीते सीजन में किसानों को गेहूं अच्छी पैदावार नहीं मिल सकी। वहीं एक हेक्टेयर खेत से करीब 80 क्विंटल गेहूं की उपज लेने वाले भटहट के रघुनाथपुर के ...और पढ़ें

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    एक हेक्टेयर खेत से मिला 80 क्विंटल गेहूं, किसानों के बीच छा गए सुरेंद्र। प्रतीकात्‍मक फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रबी के बीते सीजन में किसानों को गेहूं अच्छी पैदावार नहीं मिल सकी। वहीं एक हेक्टेयर खेत से करीब 80 क्विंटल गेहूं की उपज लेने वाले भटहट के रघुनाथपुर के सुरेंद्र कुमार 23 दिसंबर को अपने साथियों के बीच छा गए। इसकी वजह है कि सामान्य तौर पर किसान एक हेक्टेयर से 40 से 50 क्विंटल ही गेहूं की पैदावार ले पाते हैं। इसे लेकर कृषि विभाग ने किसान दिवस चौधरी चरण सिंह की जयंती पर सर्किट हाउस में आयोजित कार्यक्रम में सुरेंद्र कुमार सहित जिले के 100 किसानों को सम्मानित किया है।

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    वैज्ञाानिक विधि से खेती कर पाई उपज

    मंच से उतरते ही कार्यक्रम में मौजूद किसान सुरेंद्र से पूछने लगे कि उन्होंने ऐसी कौन सी तरकीब अपनायी जो गेहूं की इतनी अधिक पैदावार मिली। सुरेंद्र ने किसानों को समझाया कि उनका व उनके भाई का मिलाकर उनके पास कुल एक हेक्टेयर खेत हैं, लेकिन वैज्ञानिक विधि से खेती करने उन्हें इसका लाभ मिलता है। सुरेंद्र ने बताया कि मृदा परीक्षण के जरिये उन्हें पता है कि उनके खेतों में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं। इससे खेतों में अनावश्यक उर्वरक नहीं डालना पड़ता।

    मृदा परीक्षण कराने से लागत में आई कमी

    इससे खेती की लागत भी कम आती है, उत्पादन भी अच्छा मिलता है। बोआई से पहले वह बीज शोधन कराते हैं। इसका लाभ यह रहता है कि फसल में रोग नहीं लगते। इसके अलावा बीज के चयन पर ध्यान देते हैं। इसका परिणाम है कि उन्हें उत्पादन अच्छा मिल जाता है। सुरेंद्र ने बताया उन्हें खेत से सर्वाधिक धान की उपज लेने के लिए भी पुरस्कृत किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि लोग ध्यान से खेती करें तो यह किसी अच्छी नौकरी से कम नहीं है।

    प्रति वर्ष तीन फसल लेते हैं सुरेंद्र

    उन्होंने बताया कि वह प्रतिवर्ष तीन फसल लेते हैं। खेत के कुछ हिस्सों में वह मिर्चा बोकर तीस से चालीस हजार रुपये की आय अर्जित कर लेते हैं। प्रति वर्ष तरबूज की खेती से उन्हें चालीस से पचास हजार रुपये की आय हो जाती है। सुरेंद्र ने बताया कि खेती की देन है कि वह अपने बच्चों की पढ़ाई पर प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये खर्च कर पा रहे हैं। तीन बेटियों की अच्छी शादी कर चुके हैं। ऐसे में मन से खेती करें। उसका लाभ भी अच्छा मिलेगा।

    सरसो और उर्द की खेती के लिए इन्‍हें किया गया सम्‍मानित

    इसके अलावा सरसो की खेती के लिए मोहन मौर्य, धान की खेती के लिए पन्नेलाल, उर्द की खेती के लिए इंद्रमती देवी सहित 100 किसानों को खेती, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन आदि के लिए पुरस्कृत किया गया। पहले स्थान पर आने वाले किसानों को सात हजार, द्वितीय स्थान पर आने वाले किसानों को पांच हजार व ब्लाक से चयनित किसानों को दो-दो हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया।

    इन्‍होंने किया संबोधित

    इससे पहले खजनी विधायक संत प्रसाद, जिलाधिकारी विजय किरन आनंद, उप कृषि निदेशक डा. संजय सिंह, कृषि वैज्ञानिक डा.एसपी सिंह आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान किसानों प्रदर्शनी में कीटनाशक व अन्य उत्पादों की जानकारी ली। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार में भी जिले के 10 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में केंद्र के अध्यक्ष डा.एसके तोमर, डा. एसके सिंह, डा. शैलेंद्र सिंह, डा. कंचन, एनपी शाही, मनीष सिंह, शालिनी देवी, अल्का राव आदि उपस्थित रहे।