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    कल्याण पत्रिका का यह अंक 69 साल बाद भी लोकप्रिय, जानें क्या है खासियत

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    Updated: Mon, 22 Apr 2019 09:54 AM (IST)

    गीताप्रेस की मासिक पत्रिका कल्याण का ¨हदू संस्कृति अंक की मांग आज भी है। 1950 में यह अंक प्रकाशित हुआ था। तभी से लोकप्रिय है।

    कल्याण पत्रिका का यह अंक 69 साल बाद भी लोकप्रिय, जानें क्या है खासियत

    गोरखपुर, जेएनएन। गीताप्रेस की मासिक पत्रिका 'कल्याण' का हिंदू संस्कृति अंक' पहली बार 1950 में प्रकाशित हुआ था। प्रतिवर्ष कल्याण का प्रथम अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित होता है। ¨हदू संस्कृति अंक के विशेषांक की मांग आज भी बनी हुई है। पाठकों की मांग को देखते हुए प्रथम प्रकाशन के अलावा यह पुन: आठ बार प्रकाशित किया गया। अंतिम बार जून 2018 में इसकी 2000 प्रतियां प्रकाशित की गई थीं, जो लगभग समाप्त होने के कगार पर हैं।
    अभी तक कल्याण के कुल 93 अंक निकल चुके हैं, हिंदू संस्कृति अंक' 24वां हैं। प्रथम बार 1950 में कल्याण के ¨हदू संस्कृति अंक की एक लाख 25 हजार 200 प्रतियां प्रकाशित की गई थीं। उस समय इसकी कीमत 7.50 रुपये थी। उसके बाद इसके आठ संस्करण और निकले। बाद के संस्करणों में कुल 26 हजार प्रतियों का प्रकाशन हुआ। वर्तमान में इसकी कीमत 300 रुपये है। दूसरा और तीसरा संस्करण 1993 में प्रकाशित किया गया। पहली बार चार हजार प्रतियां प्रकाशित की गई, लेकिन हाथों-हाथ बिक गई, पाठकों की मांग को देखते हुए इसी साल पुन: चार हजार प्रतियों का प्रकाशन करना पड़ा।
    अन्य संस्करण व प्रतियां
    1993- 8000
    1995- 5000
    1998- 4000
    2002- 3000
    2007- 2000
    2017- 2000
    2018- 2000
    कल्याण के अन्य विशेषांक
    श्रीकृष्णांक, शक्ति अंक, योगांक, संत अंक, साधनांक, संक्षिप्त पद्मपुराण, संक्षिप्त मार्कंडेय पुराण, संक्षिप्त ब्रह्मापुराण, नारी अंक, उपनिषद अंक, स्कंद पुराण, भक्त चरितांक, नारद पुराण, संतवाणी अंक, सत्कथा अंक, तीर्थाक, श्रीमद्देवीभागवत, संक्षिप्त योगवाशिष्ठ, शिव पुराण, गो- अंक, श्रीमद्देवीभागवतांक पूवा‌र्द्ध, उत्तरा‌र्द्ध, श्रीलिंग महापुराण, भक्तमाल अंक, ब्रह्मावैवर्त पुराण, भगवन्नाम महिमा और प्रार्थना अंक, परलोक और पुनर्जन्मांक, गर्ग संहिता, नरसिंहपुराणम्, अग्नि पुराण, वामनपुराण, मत्स्यमहापुराण, श्रीगणेश अंक, हनुमान अंक, श्रीवराहपुराण, सूर्याक, भविष्य पुराण, शिवोपासनांक, गोसेवा अंक, कूर्म पुराण, वेद कथांक, गरुण पुराण, आरोग्य अंक, भगवत्प्रेम अंक, देवी पुराण।
    नौ बार प्रकाशित हो चुका है हिंदू संस्कृति अंक
    गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि पाठकों की मांग को देखते हुए गीताप्रेस ने कल्याण के अनेक अंकों के विशेषांकों का पुन: प्रकाशन किया है। ऐसे विशेषांकों की संख्या 46 है। हिंदू संस्कृति अंक का प्रकाशन कुल नौ बार हो चुका है।

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