UP News: छह साल की बच्ची ने निगल ली थी मां की बाली, गोरखपुर AIIMS के डॉक्टरों ने बचाई जान
गोरखपुर के सरदारनगर में एक छह साल की बच्ची ने गलती से सोने की बाली निगल ली जो उसके फेफड़े में फंस गई। एम्स गोरखपुर के डॉक्टरों ने पीडियाट्रिक ब्रोंकोस्कोप की मदद से बाली निकालकर बच्ची की जान बचाई। समय पर इलाज न मिलने पर बच्ची की जान को खतरा हो सकता था। अब एम्स में ही यह सुविधा उपलब्ध है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सरदारनगर के डुमरी खास की रहने वाली छह वर्ष की बच्ची ने मां की सोने की बाली निगल ली थी। बाली उसके दाएं फेफड़े की नली में फंस गई थी। उसे खांसी आ रही थी। खांसी के साथ खून भी निकल रहा था।
चार दिन से स्वजन बच्ची को लेकर इधर-उधर भटक रहे थे लेकिन फायदा नहीं मिल पा रहा था। एम्स गोरखपुर के डाक्टरों ने पीडियाट्रिक ब्रोंकोस्कोप की मदद से बाली निकालकर बच्ची को राहत दी है। बच्ची के स्वजन ने डाक्टरों का धन्यवाद जताया है।
पल्मोनरी मेडिसिन के सह आयार्च डा. देवेश प्रताप सिंह ने बताया कि सीटी स्कैन में पता चला कि बाली दाएं फेफड़े की नली में फंसी है। बच्ची को भर्ती कर आपरेशन थिएटर में ले जाया गया। विभागाध्यक्ष आचार्य डा. सुबोध पांडेय के साथ मिलकर फेफड़े के रास्ते बाली को निकाला गया।
पूरी प्रक्रिया में बच्ची को रक्तस्राव नहीं हुआ। एनेस्थीसिया विभाग की सह आचार्य डा. प्रियंका द्विवेदी, डा. विजेता, डा. भूपेंद्र के सहयोग से बच्ची पूरी तरह ठीक है। इस दौरान पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की डा. कनुप्रिया, डा. राघवेंद्रन और एनेस्थीसिया विभाग की डा. प्रतिमा भी मौजूद रहीं।
जान का हो सकता था खतरा
डा. देवेश प्रताप सिंह ने बताया कि सांस की नली से बाली को निकालना एक जीवनरक्षक प्रक्रिया है! यदि समय पर इसे न निकाला जाता तो आने वाले दिनों में बच्ची के सांस के रास्ते से ज्यादा खून आने की आशंका होती। इससे बच्ची का दायां फेफड़ा हवा रहित होकर पिचक जाता। इससे जान जाने का भी खतरा होता।
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल सेवानिवृत्त डा. विभा दत्ता ने कहा कि ऐसे मामलों में अब तक रोगियों को लखनऊ भेजना पड़ता था लेकिन अब यह सुविधा एम्स में ही मिलने लगी है।
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