गोरखपुर वासियों को दो हजार के नोट से छुटकारे की हड़बड़ी नहीं, बदलने कम, जमा करने पहुंच रहे ज्यादा
गोरखपुर जिले में दूसरे दिन भी बैंकों में दो हजार के नोट जमा करने व बदलने की प्रक्रिया सामान्य रहीं। यहां नोट बदलने या जमा करने वालों में अधिकतर व्यापारी रहे। क्योंकि खरीदारी करने वाले ग्राहकों से व्यापारी नोटों की लेनदेन अधिकर कर रहे हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। आरबीआइ के निर्देश पर विभिन्न बैंकों में दो हजार के नोट बदलने का क्रम बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। हालांकि, पहले दिन की अपेक्षा दूसरे दिन बैंकों में भीड़ कम नजर आई। नोट बदलने से अधिक जमा करने वाले बैंकों में पहुंचे और बिना किसी दिक्कत के नोट जमा किए। दोपहर होते-होते अधिकांश शाखाओं में काउंटर पर इक्का-दुक्का ही ग्राहक बचे रहे। समय सीमा अधिक होने से अभी लोगों में दो हजार के नोट को लेकर हड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं है।
सुबह बैंक खुलने के साथ बैंक रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा, पीएनबी, इलाहाबाद बैंक तथा यूनियन बैंक की प्रमुख शाखाओं में कुछ ग्राहक नोट जमा करने व बदलने जरूर पहुंचे, लेकिन दोपहर होते-होते यहां भी काउंटर खाली हो गए। बैंक प्रबंधकों की माने तो जमा करने वालों में सामान्य ग्राहक से अधिक व्यापारी आ रहे हैं। चूंकि वह सामानों की बिक्री के बदले दो हजार के नोट का लेनदेन कर रहे हैं। वहीं पैसे वह अपने खाता में जमा कर रहे हैं।
दो हजार के नोट देकर उधार चुका रहे व्यापारी
शहर के साहबगंज थोक मंडी में इन दिनों व्यापारियों का पुराना बकाया चुकाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र व आसपास के व्यापारी दो हजार के नोट लेकर पहुंच रहे हैं। जो कभी दो-दो माह तक उधार नहीं चुकाते थे। इन दिनों 10-15 दिन में ही उधारी चुकता करने पहुंच जा रहे हैं। चेंबर आफ ट्रेडर्स के महामंत्री कमलेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि अधिकांश माल उधार में ही बिकता है। उधार लेने वालों में छोटे से लेकर मध्यम वर्गीय व्यापारी तक शामिल हैं, जो बिक्री के बाद होने वाली आय से एक-दो माह बाद उधारी चुकता करते हैं। आरबीआइ की गाइडलाइन के बाद सब समय पर उधारी चुका रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसबीआइ के डीजीएम संजीव कुमार ने बताया कि बैंकों में नोट बदलने वालों की भीड़ कम हैं और जमा करने वाले अधिक हैं। समय अधिक है इसलिए कोई जल्दबाजी नहीं कर रहा है। तमाम लोग रियल एस्टेट व आभूषण खरीदने में खर्च कर रहे हैं। कितने रुपये जमा हुए इसका कोई आंकड़ा हमारे पास उपलब्ध नहीं है। हां आरबीआइ को नियमित सूचना भेजी जा रही है।
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