ठंडे पानी से कम हो सकता है जले का जख्म
गोरखपुर जलने के बाद तत्काल बाद पीड़ित के घाव पर सादा या ठंडा पानी डालकर जख्म को कम किया जा सकता है।
गोरखपुर
जलने के बाद तत्काल बाद पीड़ित के घाव पर सादा या ठंडा पानी डालकर जख्म को कम किया जा सकता है। 20 से 30 मिनट तक ऐसा करके हम डीप बर्न को बचा लेते हैं जिससे बाद का इलाज आसान हो जाता है।
यह बातें लखनऊ से आए प्लास्टिक सर्जन डा. आरके मिश्रा ने कहीं। डा. मिश्र चिकित्सकों के संगठन जीपी एसोसिएशन की वार्षिक वैज्ञानिक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि एक बार त्वचा के नीचे की परत जल गई तो इलाज के बाद भी त्वचा सिकुड़ जाती है तथा संबंधित अंग ठीक से काम नहीं कर पाता है। इलाज के बारे में बताया कि चिकित्सा सुविधाओं के अलावा मरीज के ठीक होने में पौष्टिक भोजन व दृढ़ इच्छाशक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
उन्होंने कहा कि रसोई गैस से होने वाली दुर्घटनाओं से कुछ उपाय कर बचा जा सकता है। गैस सिलेंडर को बाहर रख कर एक मेटल की पाइप लाइन से जोड़कर इस्तेमाल करने से इससे होने वाली 90 फीसद दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। पूजा के दौरान दीये, अंगीठी या चूल्हे की आग की दुर्घटनाएं ज्यादातर ढीले-ढाले कपड़े पहनने से होती हैं। इसलिए ऐसे समय चुस्त कपड़े पहने या पल्लू, दुपट्टे को कसकर बांध लें। घरों में स्विच बोर्ड हमेशा चार-पांच फीट ऊपर लगाएं जिससे बच्चे उसमें हाथ, उंगली , पेन या पिन आदि न डाल सकें। खाने के टेबल आदि पर लटकते मेजपोश नहीं होने चाहिए, क्यों कि बच्चे मेजपोश आदि को खींच कर गरम चीजें अपने ऊपर गिरा लेते हैं। आग से बचाव के लिए बालू की बाल्टी, पानी तथा आग बुझाने का यंत्र जरूर होना चाहिए।
लखनऊ से आए डा. एसएस त्रिपाठी, डा. शिशिर अग्रवाल, डा. दीपांशु व गोरखपुर के डा. सतीश कुमार, डा. इम्तियाज व डा. इमरान ने बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में विस्तार बताया। प्लास्टिक के पुतले पर प्रैक्टिस भी करवाई। उन्होंने बताया कि बेसिक लाइफ सपोर्ट के लिए पहले दस सेकेंड में ही मरीज की पल्स व सांस को बंद कर कार्डियक मसाज शुरू कर देना चाहिए। इसकी गति 100 से 120 मसाज प्रति मिनट होना चाहिए। प्रत्येक मसाज के बाद दो बार मरीज को मुंह से श्वांस देना है। यह प्रक्रिया तब तक करनी चाहिए जब तक एडवांस लाइफ सपोर्ट टीम न पहुंच जाए। इस तरह डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ व नर्स को प्रशिक्षित कर काफी संख्या में जान बचा सकते हैं।
इसके पूर्व मुख्य अतिथि व बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. राजीव मिश्र व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आगन्तुकों का स्वागत एसोसिशन के अध्यक्ष डा. जीपी गोयल ने किया। सचिव डा. वीएन अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम गोरखपुर में पहली बार आयोजित किया गया। आगे भी जारी रहेगा। इस अवसर पर वैज्ञानिक सचिव डा. स्मिता जायसवाल व अन्य चिकित्सक मौजूद थे।
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