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    मां कोलहट भवानी मंदिर

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 05 Apr 2017 01:28 AM (IST)

    सावर्ण गोत्र की कुलदेवी के रूप में विख्यात मां कोलहट भवानी सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। नवरात्र क

    मां कोलहट भवानी मंदिर

    सावर्ण गोत्र की कुलदेवी के रूप में विख्यात मां कोलहट भवानी सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। नवरात्र के समय बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। मत्था टेककर मंगल कामना करते हैं। अनेक जिलों से मां के दर्शन को श्रद्धालु आते हैं।

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    दूर-दूर तक है ख्याति

    मां कोलहट भवानी की ख्याति दूर-दूर फैली हुई है। देश के कोने-कोने मे बसे हुये सावर्ण गोत्र के ब्राहमण नवरात्र में आकर अपनी कुल देवी की आराधना करते हैं।

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    मंदिर का इतिहास

    कुसमौल क्षेत्र के चारपान स्थित कोलहट भवानी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों का राज था। कोलहट की नौ युवतियां चने का साग तोड़ने खेत में गई थीं। शाम को घर लौट रही थीं, अचानक अंग्रेज सिपाहियों की टुकड़ी ने उनपर हमला बोल दिया। सिपाही दौड़ाने लगे। शेष युवतियां भाग गई, एक युवती उनकी पकड़ में आ गई। सिपाही उसकी आबरू लूटने की कोशिश करने लगे, उसने मां धरती से कहा कि मुझे अपनी गोद में छिपा लें। इतने में धरती फटी और वह उसी में समा गई। तब तक गांव में सूचना पहुंच चुकी थी। लोग आए तो देखा कि युवती का धरती के ऊपर दिख रहा है। इसी समय आवाज आई कि मैं धरती में समाहित हो चुकी हूं, जो मेरी पूजा करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। तभी वहां से पूजा-अर्चना शुरू हो गई।

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    विशेषता

    इसी घटना के बाद इस गांव में गन्ना व चना नहीं बोया जाता है। लोगों का कहना है कि गन्ना व चना ही इस घटना का कारण बना। मंदिर में हाथी की मूर्तियां हैं। श्रद्धालु इन्हीं मूर्तियों की पूजा कर भवानी की कृपा प्राप्त करते हैं।

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    कैसे पहुंचे मंदिर

    गोरखपुर मुख्यालय से मंदिर की कुल दूरी 23 किलोमीटर है। गोरखपुर-वाराणसी मार्ग पर गोरखपुर से 22 किलोमीटर पर चारपान स्थित है। वहां जाने के लिए हमेशा साधन मिल जाते हैं। वहां से मंदिर की दूरी एक किलोमीटर है जो पैदल या निजी साधनों से तय करनी पड़ती है।

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    मां की महिमा अपार है। देश-विदेश में बसे सावर्ण गोत्र के ब्राह्माण मा कोलहट भवानी का दर्शन करने जरुर आते हैं। जब भी उन लोगों के घर कोई शुभ कार्य संपन्न होता है तो यहा सपरिवार आकर पूजा-अर्चना करते हैं।

    -अशोक पांडेय, पुजारी

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    मां के दरबार में नवरात्र में बड़ी भीड़ होती है। आसपास गांवों के अलावा बड़ी दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। मां सबका ख्याल रखती हैं, सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। अनेक संकटों से उबारती हैं।

    रागिनी देवी, श्रद्धालु

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