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    काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे आएगी

    By Edited By:
    Updated: Thu, 24 Nov 2016 02:26 AM (IST)

    गोरखपुर : 'काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे भागेगी..' 2009 में आई मूवी थ्री इडियट्स का डायलॉग आज के

    गोरखपुर : 'काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे भागेगी..' 2009 में आई मूवी थ्री इडियट्स का डायलॉग आज के यूथ का फ्यूचर संवारने के लिए बिल्कुल सटीक बैठता है। कुछ कर दिखाने की चाह रखने वाले लाखों यूथ बस सोच लेते हैं कि उन्हें यह बनना है, लेकिन उसके लिए वह किस हद तक तैयार हैं, उसके बारे में कोई नहीं सोचता। डीडीयूजीयू के दीक्षा भवन में वीआईटी की ओर से ऑर्गनाइज आई नेक्स्ट इंजीनिय¨रग गेटवेज सेमिनार-2016 के अंतिम दिन फील्ड और कॅरियर एक्सप‌र्ट्स ने स्टूडेंट्स को इस बारे में ढेरों टिप्स दिए।

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    'मशरूम' से जरा बचकर

    फिलहाल जो एरा चल रहा है, वह इंजीनियर्स का है। सिर्फ इंजीनिय¨रग में ही नहीं बल्कि कोई भी ऐसी फील्ड नहीं है, जहां इंजीनिय¨रग का इस्तेमाल न हो, चाहे वह हॉस्पिटल हो या फिर घर, बड़े मॉल्स हों या फिर कंप्यूटर हर जगह इंजीनिय¨रग इनवॉल्व है। आज देश में हर बड़ी पोजीशन पर इंजीनियर्स ही जलवा बिखेर रहे हैं। चाहे वह पॉलिटिक्स में यूपी सीएम अखिलेश यादव हों, या फिर क्रिकेट में अनिल कुंबले के साथ ही बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह, स्पो‌र्ट्स से श्रीकांत और साहित्य में चेतन भगत, सभी इंजीनियर्स हैं, लेकिन सभी अपना कॅरियर खुद चुना और उसमें इनवॉल्व हुए। आज देश में मशरूम की तरह कॉलेज बढ़ते जा रहे हैं, जो डिग्री तो दे रहे हैं, लेकिन इंजीनिय¨रग नहीं करा रहे हैं। स्टूडेंट्स को जरूरत है इन मशरूम से बचकर रहें। उन्हें सही कॅरियर का सेलेक्शन करना है, तो पहले वह उस यूनिवर्सिटी या कॉलेज के बारे में ठोक-बजाकर जानकारी हासिल कर लें। आजकल इंटरनेट का जमाना है, जिससे उनको काफी फायदा मिलेगा।

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    ड डीकेशन के साथ करें तैयारी

    फेमस कॅरियर काउंसलर अरुणेंद्र सोनी ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और फ्लिपकार्ट के फाउंडर डायरेक्टर्स सचिन बंसल और बिन्नी बंसल का हवाला देते हुए बताया कि यह देश के वह इंजीनियर्स हैं, जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाकर खुद को ब्रांड के तौर पर स्थापित किया। एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में 80 परसेंट इंजीनियर्स ऐसे हैं जो नौकरी के काबिल ही नहीं है। स्टूडेंट्स ने जितना पढ़ा, अगर अपनी स्टडी के अहम 20 परसेंट कंटेट पर ही फोकस कर लें, तो निश्चित ही उन्हें कामयाबी मिलेगी। इसलिए जरूरी है कि एक एम बनाकर उसी राह पर आगे बढ़ें, खुद को अपने वर्क और प्रोफेशन में इस तरह से ढाल लें कि सभी उन्हें अपने साथ लेने के लिए परेशान रहें।

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    वीडियो में दिखी वीआईटी की खासियत

    सेमिनार के दौरान वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) से आए एक्सप‌र्ट्स ने स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी की खूबी के बारे में इंफॉर्मेशन दी। इसके साथ ही एक वीडियो के थ्रू वीआईटी की पूरी इंफॉर्मेशन विजुअली स्टूडेंट्स से शेयर की। वीआईटी एक्सपर्ट ने बताया कि सभी यूनिवर्सिटीज और इंजीनिय¨रग कॉलेजेज से वीआईटी को एक बात अलग करती है। वह है फुली फ्लेक्सिबल क्रेडिट सिस्टम (एफएफसीएस)। इसके थ्रू स्टूडेंट्स के पास यह मौका होता है कि वह जिस सब्जेक्ट, जिस टीचर का चाहे सेलेक्शन कर सकता है। इसके साथ ही फीस में भी स्टूडेंट्स को काफी रियायत है। टॉप 15 में आने वाले स्टूडेट्स की 75 परसेंट फीस भी माफ की जाती है। वहीं टॉप 50 में आने वाले स्टूडेंट्स को 50 परसेंट कनसेशन मिलता है।

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    एक्सप‌र्ट्स बोले

    सिर्फ बीटेक की डिग्री काफी नहीं है। यह आपको थोड़ी वैल्यू देती है लेकिन अच्छे जॉब की गारंटी कभी नहीं देती। कोई भी कंपनी हमेशा अपने लिए अच्छा एंप्लाई ढूंढती है। वह आपको सिर्फ इसलिए नहीं लेगी क्योंकि आपके पास इंजीनिय¨रग की डिग्री है। अच्छे जॉब के लिए अच्छे इंस्टीट्यूट का चयन सबसे जरूरी है। इंस्टीट्यूट के सेलेक्शन में कभी जल्दीबाजी न करें और सोच-समझकर, सबकुछ पता कर ही एडमिशन लें। साथ ही अपनी इंजीनिय¨रग की नीड को अपना डिजायर बनाएं, तभी आप भीड़ से अलग अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो सकेंगे।

    - प्रो. रघुराम, वीआईटी

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    वीआईटी में फुली फ्लेक्सिबल क्रेडिट सिस्टम (एफएफसीएस) की व्यवस्था है। इसके थ्रू स्टूडेंट्स के पास यह मौका होता है कि वह जिस सब्जेक्ट का चाहे सेलेक्शन कर सकता है, वहीं टीचर भी स्टूडेंट्स को उसके पसंद का ही मिलेगा, यह भी फैसिलिटी वीआईटी स्टूडेंट्स को देता है। इतना ही नहीं वह चाहें तो फोर्थ ईयर के स्टूडेंट्स के साथ भी पढ़ाई कर सकते हैं। बस उन्हें चार साल में दिए गए 200 क्रेडिट पूरे करने पड़ते हैं। साथ ही एंट्रेंस में मा‌र्क्स हासिल करने वाले स्टूडेंट्स की फीस में भी रियायत दी जाती है।

    - प्रो. धर्मेद्र सिंह राजपूत, वीआईटी