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    आइबी का अधिकारी बताकर दिया झांसा, प्रयागराज विश्वविद्यालय में नौकरी के नाम पर हड़प लिए 15 लाख रुपये

    By Jagran News Edited By: Jagran News Network
    Updated: Sun, 25 Feb 2024 01:20 PM (IST)

    बक्शीपुर के साहू टोला में रहने वाले सुमित गुप्ता ने एसएसपी को पत्र देकर बताया कि कुछ माह पहले लखनऊ में अमित प्रकाश पाठक उर्फ शंकर पाठक नाम का एक व्यक्ति मिला। वह खुद को आइबी का अधिकारी बता रहा था। लखनऊ में तैनाती की जानकारी देते हुए कहा कि 15 लाख रुपये में प्रयागराज विश्वविद्यालय में नौकरी लग जाएगी।

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    पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच में जुटी है।

     जागरण संवाददाता, गोरखपुर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नौकरी दिलाने का झांसा देकर जालसाज ने युवक से 15 लाख रुपये ले लिए। नौकरी न मिलने पर युवक ने रुपये वापस मांगे तो धमकी देने लगा। एसएसपी के आदेश पर कोतवाली थाना पुलिस रुपये हड़पने व धमकी देने का मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।

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    बक्शीपुर के साहू टोला में रहने वाले सुमित गुप्ता ने एसएसपी को पत्र देकर बताया कि कुछ माह पहले लखनऊ में अमित प्रकाश पाठक उर्फ शंकर पाठक नाम का एक व्यक्ति मिला। वह खुद को आइबी का अधिकारी बता रहा था। लखनऊ में तैनाती की जानकारी देते हुए कहा कि 15 लाख रुपये में प्रयागराज विश्वविद्यालय में नौकरी लग जाएगी।

    सुमित ने मित्र निखिल सिंह को बताया तो उसने भाई का फार्म भरवा दिया। नौकरी दिलाने के लिए अमित प्रकाश पाठक से बात करके सुमित ने उसे 15 लाख रुपये दे दिए। नौकरी न मिलने पर बात की तो वह आनाकानी करने लगा। कोतवाली थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है।

    कलेक्शन मैनेजर पर गबन का मुकदमा

    महिन्द्रा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के कलेक्शन मैनेजर पर 89 हजार रुपये के गबन का आरोप है। क्षेत्रीय प्रबंधक की शिकायत पर शाहपुर थाना पुलिस कलेक्शन मैनेजर आकाश पाठक के विरुद्ध धोखाधड़ी कर रुपये हड़पने का मुकदमा दर्ज कर आरोप की जांच कर रही है। मेडिकल रोड पर महिंद्रा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी की शाखा है।

    क्षेत्रीय प्रबंधक बृजेश कुमार शाही ने एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि शाखा में देवरिया के वार्ड नंबर दो का आकाश पाठक कस्टमर कलेक्शन मैनेजर है। उसका काम कस्टमर से किस्त लेकर रसीद देना और धनराशि को कंपनी में जमा कराना था।

    कलेक्शन मैनेजर ने ग्राहकों से धनराशि ली लेकिन कंपनी में जमा नहीं कराया। कुछ ग्राहकों की शिकायत पर जांच कराई गई तो 89,100 रुपये का हिसाब नहीं दिया।