इंटरनेट पर चमक रही हमारी ¨हदी
गोरखपुर : फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के लोकप्रिय प्लेटफार्म हों या फिर ब्लाग, वेबसाइ
गोरखपुर : फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के लोकप्रिय प्लेटफार्म हों या फिर ब्लाग, वेबसाइट अथवा वेब पोर्टल, इंटरनेट के हर कोने में हमारी ¨हदी चमक रही है। बदलते जमाने के साथ हमारी ¨हदी दूसरी भाषाओं के साथ ही इंटरनेट के वैश्विक प्लेटफार्म पर विकास की नई रफ्तार पकड़ रही है। उपयोगकर्ता आम हो या खास हिंदी सभी को लुभा रही है।
वर्ष 2000 में शुरू हुए ¨हदी के पहले वेबपोर्टल से लेकर अब तक ¨हदी ने लगातार इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति मजबूत करती गई है। ब्लागों की भरमार है, सरकारी-गैर सरकारी वेबसाइट भी खूब हैं। सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति के लिए देवनागरी ¨हदी को हर वर्ग के लोग खासी प्राथमिकता दे रहे हैं। जमाना अपडेट हुआ तो स्मार्टफोन आया, यहां भी ढेरों ऐसे कीबोर्ड एप आ चुके हैं जो देवनागरी ¨हदी लेखन को बढ़ाना देने में सहायक हैं।
यह ¨हदी की मजबूती ही है कि कभी केवल अंग्रेजी में होने वाली क्रिकेट कमेंट्री और स्कोर बोर्ड अब सहजता से ¨हदी में देखने-सुनने को मिल रही है। हाल के वर्षों में डीटीएच पर किसी भी चैनल के हिंदी में अनुवाद की सुविधा मिलने लगी है। इंटरनेट पर हिंदी का सफर रोमन लिपि से प्रारंभ होता है और लंबी अवधि तक फांट की समस्याओं से जूझती रही, लेकिन बढ़ती जरूरत के बीच यूनीकोड व मंगल जैसे फांट के विकास ने देवनागरी ¨हदी को कंप्यूटर पर नया जीवन प्रदान किया। आज ¨हदी दिवस के अवसर पर इंटरनेट पर चमक बिखेरती हमारी राजभाषा ¨हदी की स्थिति पर एक नजर .
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बाक्स
आज के समय में इंटरनेट पर हिंदी साहित्य का प्रचुर भंडार घर बैठे इंटरनेट पर उपलब्ध है। करीब 100 ई-पत्रिकाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध हैं तो 'अभिव्यक्ति' 'अनुभूति', 'रचनाकार', 'हिंदी नेस्ट', 'कविताकोश', 'संवाद' आदि ई-पत्रिकाएं इंटरनेट पर ¨हदी प्रेमियों के लिए सुलभ हो चुकी हैं। यही नहीं 'हंस', 'कथादेश', 'तद्भव', 'नया ज्ञानोदय' जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के इंटरनेट संस्करण भी अब सहज उपलब्ध हैं।
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इंटरनेट पर हमारी ¨हदी
- गूगल के मुताबिक 20 फीसद भारतीय उपभोक्ता ¨हदी में इंटरनेट सर्फिंग पसंद करते हैं।
- फेसबुक, गूगल प्लस, और वाट्सएप जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ¨हदी में लेखन का चलन खूब बढ़ा है।
- अंग्रेजी के 19 फीसद के मुकाबले 94 फीसद की दर से बढ़ी है हिंदी की विषयवस्तु की इंटरनेट पर उपलब्धता।
- विभिन्न राज्य और केंद्र सरकारों की करीब 10 हजार वेबसाइट हिंदी में उपलब्ध हैं।
- हिंदी के 1000 रचनाकारों की रचनाओं का अध्ययन किया जा सकता है महात्मा गाधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, बर्धा की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट ¨हदीसमय डॉट कॉम पर। इसी तरह कविता कोश, अनुभूति जैसी वेबसाइट भी ¨हदी साहित्य से नई पीढ़ी को रूबरू कराने को सक्रिय हैं।
- 15 से अधिक हिंदी के सर्च इंजन हैं जो किसी भी वेबसाइट का चंद मिनटों में हिंदी अनुवाद करके पाठकों को वांछित सामग्री उपलब्ध कराते हैं।
- देश में ¨हदी भाषियों की संख्या करीब 50 करोड़ है। जबकि गूगल पर करीब 1 लाख विकीपीडिया के लेख हैं
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.. यूं पार हुई तकनीकी बाधा
- आम तौर इंटरनेट के लिए अंग्रेजी मुख्य भाषा रही है, ऐसे में ¨हदी का सफर इंटरनेट पर रोमन लिपि से प्रारंभ हुआ और फांट जैसी समस्याओं से जूझते हुए यह देवनागरी लिपि तक का सफर तय किया।
- यूनीकोड, मंगल जैसे यूनीवर्सल फांट ने देवनागरी लिपि को कंप्यूटर पर ¨हदी को नया आयाम दिया।
- स्मार्टफोन के लिए गूगल ¨हदी इनपुट जैसे सैकड़ों एप शुरू किए गए, जो अंग्रेजी को हिन्दी में और ¨हदी को अंग्रेजी में अनुवादित करते हैं। यही नहीं अब तो ¨हदी कीबोर्ड भी खासे लोकप्रिय हैं।
- नोकिया, सैमसंग सहित ज्यादातर मोबाइल कंपनियां स्मार्टफोन में डिफाल्ट देवनागरी लिपि की-बोर्ड उपलब्ध करा रही हैं।
- गूगल अब पूर्ण रूप से मैप और सर्च भी हिंदी में प्रस्तुत करता है।
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यह है चुनौतियां
- आज हिंदी में ढेरों साफ्टवेयर उपलब्ध हैं लेकिन बैंक, बिजली विभाग, बीमा आदि क्षेत्र में अब भी पालिसी, बिल, रसीद आदि अंग्रेजी में ही दी जा रही हैं।
- सरकारी वेबसाइटें आमतौर पर दो भाषाओं में होती हैं फिर भी ज्यादातर पहले अंग्रेजी में ही खुलती हैं। ¨हदी में देखने के लिए अलग लिंक उपलब्ध होता है।
- ¨हदी भाषा के सम्मान के लिए ¨हदी भाषियों में जागरुकता की कमी। सरकारी नीतियां भी कम जिम्मेदार नहीं।