ढैंचे का वायदा, लाभ मिलेगा ज्यादा
गोरखपुर : खरीफ एवं रबी की फसलों से नाउम्मीद किसानों की उम्मीद बन सकता है ढैंचा। प्रयोगों से यह सा ...और पढ़ें

गोरखपुर :
खरीफ एवं रबी की फसलों से नाउम्मीद किसानों की उम्मीद बन सकता है ढैंचा। प्रयोगों से यह साबित भी हो चुका है। अलग-अलग राज्यों के किसानों ने परंपरागत रूप से ही खेती की। उसी बीज का प्रयोग किया। खाद-पानी भी उतना ही दिया, पर जिन किसानों ने ढैंचा पलटने के बाद ऐसे किया उनके नतीजे बेहद उत्साह जनक रहे। मसलन गेहूं की उपज में 20-106, सरसों में 45 से 76 और धान में 20-114 फीसद की वृद्धि देखी गई।
कैसे कमाल करता है ढैंचा
ढैंचा या हरी खाद के रूप में प्रयोग की जाने वाली सनई, मूंग, उड़द और लोबिया दलहनी फसलें हैं। इनमें भूमि में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन स्थिर करने का गुण होता है। कौन फसल कितना नाइट्रोजन स्थिर करेगी, यह उसमें मौजूद हरे पदार्थ पर निर्भर है। ढैंचे में प्रति हेक्टेयर हरे पदार्थ की मात्रा करीब 144 कुंतल होती है। इससे भूमि को करीब 77 किग्रा अतिरिक्त नाइट्रोजन मिल जाता है।
सनई को छोड़ दें तो खरीफ केसीजन में होने वाली हरी खाद की अन्य फसलों में न ढैंचे जितना हरा पदार्थ होता है न नाइट्रोजन स्थिर करने की क्षमता। बुआई के बाद तय समय पर खेत में पलटने और सड़ाने से इसमें उपलब्ध हरा पदार्थ भूमि में कार्बनिक तत्वों को बढ़ाता है। इसके नाते भूमि में मित्र जीवाणुओं की संख्या और सक्रियता बढ़ती है। इन जीवाणुओं की भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों को पौधों को आसानी से प्राप्य कराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फसल चक्र में लगातार ढैंचे की फसल को शामिल करने से भूमि की भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार होता है। भारी बारिश के दौरान इसकी गहरी जड़ें मिट्टी की उपजाऊ परत बहने नहीं देतीं। भूमि में पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है।
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ऐसे करें खेती
गर्मी में एक गहरी जुताई कर खेत को छोड़ देते हैं। पहली बारिश के बाद प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किग्रा की दर से बीज डालने के बाद पाटा चला देते हैं। जिनके पास सिंचाई का साधन है वे सिंचाई करके ऐसा कर सकते हैं। अगर ढैंचा पलटने के बाद खरीफ की फसल लेनी है तो बुआई अप्रैल से मई तक करें। रबी की फसल के लिए देर में भी बुआई की जा सकती है। चूंकि यह बेहद तेजी से बढ़ने वाली फसल है लिहाजा डेढ़ से दो माह में फसल में जब फूल आने लगते हैं तो इस पलट दें। इससे जमीन को करीब 15-25 टन हरा पदार्थ प्राप्त होता है। हरा पदार्थ जमीन में जल्दी सड़े और उसमें जीवांश की मात्रा बढ़े इसके लिए पलटने के बाद खेत को पानी से भर सकते हैं।
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फसल हरा पदार्थ नाइट्रोजन स्थिरीकरण
ढैंचा 144 77.10
सनई 152 84
मूंग 57 38.60
लोबिया 108 56.30
(नोट-ढैंचा, सनई एवं मूंग में प्रति हेक्टेयर 80 और लोबिया में 45 किग्रा बीज लगता है। प्रति हेक्टेयर प्राप्त हरा पदार्थ, कुंतल में और भूमि में स्थिर किया गया नाइट्रोजन किग्रा में)

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