जेल नहीं, जुर्माने से हो रहा छुटकारा
गोरखपुर : बिजली का अप्राधिकृत प्रयोग करने, कटिया कनेक्शन जोड़ने, मीटर से छेड़छाड़ आदि करके बिजली चो
गोरखपुर :
बिजली का अप्राधिकृत प्रयोग करने, कटिया कनेक्शन जोड़ने, मीटर से छेड़छाड़ आदि करके बिजली चोरी करने पर विभाग द्वारा आरोपी व्यक्ति के विरुद्ध संबंधित थाने में बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज कराया जाता है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 में बिजली चोरी एवं दंड के बारे में दिया गया है।
जिसके अनुसार बिजली चोरी का दोष सिद्ध पाये जाने पर तीन वर्ष के कारावास अथवा अर्थदंड (जुर्माना) या दोनों से दंडित करने का प्रावधान स्पष्ट रूप से किया गया है। पिछले दस सालों के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो वर्ष 2006 से जनवरी 2015 तक बिजली विभाग द्वारा विद्युत चोरी के करीब 1350 मुकदमे दर्ज कराए गए। जिसमें वर्ष 2006-07 में 227 मामले, वर्ष 2008 में 198, वर्ष 2009 में 146, वर्ष 2010 में 156, वर्ष 2011 में 153, वर्ष 2012 में 250, वर्ष 2013 में 365, वर्ष 2014 में मात्र तीन , वर्ष 2015 जनवरी तक पांच मुकदमों में विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट के द्वारा संज्ञान लिया गया था। ये वह मामले हैं जिनमें थाने की पुलिस ने विवेचना के उपरांत या तो आरोप पत्र दाखिल किया या फाइनल रिपोर्ट दाखिल किया था। जिन मामलों में बिजली चोरी के अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल हुआ उनमें सभी के अभियुक्तों ने जुर्म स्वीकार कर न्यायालय में अर्थदंड जमाकर मुकदमा समाप्त कराने में ही भलाई समझी। मुकदमें की अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार अर्थदंड भी एक हजार रुपये से लेकर किसी मामले में दो हजार, तीन हजार, पांच हजार, आठ हजार या अधिकतम दस हजार रुपये तक लगा। किसी भी मामले में अभियुक्त को तीन वर्ष के कारावास की सजा आज तक नहीं सुनायी गई। बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज होने के बाद यदि आरोपी व्यक्ति द्वारा शमन शुल्क जमा कर दिया जाता है तो विभाग का अधिकारी मामले के विवेचक दरोगा को लिखित सूचना दे देता है। उसी आधार पर विवेचक मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा कर कोर्ट में पेश कर देता है या चोरी का मामला सही पाये जाने पर आरोप पत्र दाखिल कर देता है।
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