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    .और गांधी जी ने स्थगित कर दिया असहयोग आंदोलन

    By Edited By:
    Updated: Wed, 04 Feb 2015 01:22 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर: कुछ तारीखें अमर हो जाती हैं। ऐसी तारीखों में एक है 4 फरवरी 1922, जिस दिए ह

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर: कुछ तारीखें अमर हो जाती हैं। ऐसी तारीखों में एक है 4 फरवरी 1922, जिस दिए हुए चौरीचौरा कांड ने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा ही बदल दी। इस कांड ने महात्मा गांधी को अपना असहयोग आंदोलन स्थगित करने को मजबूर कर दिया। 4 फरवरी 2015 को चौरीचौरा कांड की 93वीं वर्ष गांठ है। बुधवार को चौरीचौरा के शहीद स्मारक पर जनता, अफसर व शहीदों के परिजन एकत्रित होकर कृतज्ञ शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

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    यह वह दौर था जब अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी के आह्वान पर क्षेत्र में असहयोग आंदोलन ने जोर पकड़ लिया। गांव, खेत, खलिहान व चौपालों में अंग्रेजों को खदेड़ने की ही सिर्फ चर्चा होने लगी। चौरीचौरा में विदेशी वस्त्र, शराब, भांग, अफीम, गांजा आदि समान का बहिष्कार होने लगा। 4 फरवरी 1922 को शनिवार के दिन साप्ताहिक बाजार लगा था। स्वतंत्रता सेनानियों ने विदेशी वस्त्रों और मादक पदार्थो के बहिष्कार का नारा लगाते हुए जुलूस निकाला। जुलूस जब चौरीचौरा थाना के सामने से शांतिपूर्वक गुजर रहा था तभी सशस्त्र पुलिस ने निहत्थे और निर्दोष सत्याग्रहियों पर लाठी चार्ज करते हुए गोली चलाना शुरू कर दिया। गोली लगने से करीब दो दर्जन लोगों की मौके पर मौत हो गई और सैकड़ों लोग बुरी तरह से जख्मी होकर दर्द से कराहते-तड़पते रहे। इसके बाद भीड़ उग्र हो गई। भीड़ ने थाने में आग लगा दी, जिसमें 23 पुलिस कर्मी जलकर मर गए।

    इस घटना ने स्वतंत्रता आंदोलन पर गहरा असर डाला। इससे दुखी होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने थाना फूंकने वालों को उग्रवादी मानकर दमनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी। निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिसमें 228 लोगों की गिरफ्तारी हुई। जेल में ही दो लोगों की मौत हो गई। निचली अदालत ने 172 लोगों को फांसी और 56 को कालापानी की सजा सुनाई। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने स्वयंसेवकों की ओर से मुकदमे की पैरवी उच्च न्यायालय में की। उनकी पैरवी के कारण 38 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि 19 सत्याग्रहियों को फांसी, 16 को आजन्म कारावास और 93 लोगों को कुछ वर्षो की सजा हुई।

    शहीद स्मारक पर होगा आयोजन:

    अमर शहीदों की याद में 6 फरवरी 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा चौरीचौरा में शहीद स्मारक का शिलान्यास किया गया, जिसका लोकार्पण 19 जुलाई 1993 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने किया। हर वर्ष यहां सेनानियों की याद में कार्यक्रम का आयोजन तो होता है, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन को एक नया मोड़ देने वाली चौरीचौरा की धरती विकास के मामले में अब भी उपेक्षित है।

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    कार्यक्रम का आयोजन:

    : चौरीचौरा दिवस समारोह चार फरवरी को दोपहर एक बजे से शहीद स्मारक परिसर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिजन समिति चौरीचौरा के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी की अध्यक्षता में होगा। समिति के संयोजक राम नारायण त्रिपाठी एडवोकेट ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उ.प्र. विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पांडेय, विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी रंजन कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार व विधायक जय प्रकाश निषाद होंगे। समारोह के मंच से तीन बजे से कवि सम्मेलन होगा।