आज महानिशा में होगी महागौरी की पूजा
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : नवरात्र में महाष्टमी तिथि के महानिशा काल (मध्य रात्रि) में देवी महागौरी के पूजन का विशेष महत्व है। महानिशा काल को महानिशीथ काल भी कहते हैं। वाम मार्ग में इस रात को बलि का विधान है। बलि अर्थात अपने प्रिय से प्रिय वस्तु का समर्पण। शास्त्रों के अनुसार अष्टमी जिस दिन मध्य रात्रि में प्राप्त हो उसी दिन रात को महानिशा पूजा की जाती है। सोमवार को सूर्योदय से लेकर रात्रि 3 बजकर 2 मिनट तक अष्टमी तिथि है। रात 11.48 से 1.12 बजे तक महानिशा काल रहेगा।
ज्योतिषी डा. जोखन पाण्डेय शास्त्री व पं. शरदचंद्र मिश्र की मानें तो 'दुर्गोत्सव भक्ति तरंगिणी' व 'देवी पुराण' के अनुसार देवी उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ तिथि है महाष्टमी। इसी दिन रात को महानिशा पूजा की जाती है। माता महागौरी भगवान शंकर की अर्धागिनी होने के नाते समस्त कामनाओं को पूर्ण करती हैं। ये सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी हैं। इसी दिन मां महागौरी की उत्पत्ति भी मानी गयी है। इस दिन अन्नपूर्णा के पूजन से घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं रहती है।
अघोर पीठ पर होगा चक्र पूजन
अघोरपीठ ट्रांसपोर्ट नगर में महाष्टमी को मध्य रात्रि में महानिशा पूजा चक्रपूजन के साथ की जाएगी। अघोराचार्य बाबा कीनाराम, अवधूत भगवान राम व अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम रामजी को मत्था टेकने के बाद सर्वेश्वरी समूह के ध्वज के पास श्रद्धालु हवन कर भगवती अघोरेश्वरी व मां सर्वेश्वरी के प्रति अपनी आस्था व श्रद्धा निवेदित करेंगे। सभी कार्यक्रम अवधूत छबीलेराम की देखरेख में होंगे।

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