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    अयोध्या से 80 KM दूर 'भक्तिधाम' में एक साथ 'चारों तीर्थों' के होते हैं दर्शन, सेवा-अध्यात्म का अद्भुत संगम

    By RAMAN KUMAR MISHRAEdited By: Sakshi Gupta
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 04:30 PM (IST)

    गोंडा के पास भक्तिधाम में अयोध्या आने वाले श्रद्धालु चारों धामों का अनुभव कर सकते हैं। यहाँ छपिया धाम, पृथ्वीनाथ मंदिर और देवीपाटन जैसे कई पवित्र स्थल ...और पढ़ें

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    रमन मिश्र, गाेंडा। आप अयोध्याजी रामलला के दर्शन करने आएं तो 65 किलोमीटर की दूरी परचारों धाम की यात्रा भी कर सकते हैं। इसके साथ ही छपिया धाम घनश्याम जी महराज की जन्मस्थली, पृथ्वीनाथ, दुखहरण नाथ, वाराह भगवान, गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि, मां वाराही का भी दर्शन कर सकते हैं।

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    यही से आप बलरामपुर जिले के तुलसीपुर स्थित शक्ति पीठ देवीपाटन का दर्शन करने के साथ सोहेलवा जंगल व नेपाल की हरी भरी वादियाें का भी लुफ्त उठा सकते हैं। राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख का दीनदयाल शोध संस्थान जयप्रभा ग्राम शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन व सदाचार की खुशबू से महकता है।

    लोकनायक जयप्रकाश नारायण और उनकी पत्नी प्रभावती की स्मारिका मंदिर के अलावा सामाजिक समरसता का प्रतीक भक्ति धाम चारों धाम के दर्शन होते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, थारू जनजाति सहित संस्थान के 10 प्रकल्प स्थापित हैं। यहां गोशाला, रसशाला, भक्ति धाम मंदिर के साथ ही थारू जनजाति के बच्चों के रहने और उनकी निश्शुल्क शिक्षा की व्यवस्था है।

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    दीनदयाल शोध संस्थान जयप्रभा के नाम से स्थापित प्रकल्प में नाना जी की कुटिया, अरविंद कुटी, चिन्मय कुटी, दादी जी का बटुआ, गोपालन, चिन्मय स्कूल, पोषक वाटिका और मानस झील के दर्शन के साथ नौका विहार भी होता है। राष्ट्र ऋषि व भारत रत्न नानाजी देशमुख ने 24 वर्ष पहले जयप्रभाग्राम में भक्तिधाम की स्थापना कराई थी।

    यहां प्रत्येक वर्ष करीब तीन लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां बाहर आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के साथ ही भोजन की भी व्यवस्था है, जिसका खर्च दीनदयाल शोध संस्थान उठाता है।

    गोंडा जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर बलरामपुर मार्ग के किनारे 1978 में जयप्रभाग्राम की स्थापना उन्होंने इसी मकसद से की थी, जिससे लोगों को विकास हो।

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    दरअसल, गोंडा भगवान राम की नगरी अयोध्या के समीप है, ऐसे में यहां के लोगों की धर्म के प्रति विशेष आस्था है। वर्ष 2001 में भक्तिधाम मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। मंदिर के लिए पत्थर राजस्थान के भरतपुर से मंगाया गया। मंदिर की नक्काशी जयपुर के माडल पर की गई है। मंदिर में प्रवेश द्वार पर मंडप बनाया गया है, जो इकोसिस्टम से संचालित है।

    यहां पर बिना माइक के आवाज गूंजती है। मंदिर में बद्रीनाथ, जगन्नाथ धाम, रामेश्वरम धाम सहित सहित उन सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन हो रहे हैं, जो चारों धाम की यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ते हैं।

    यहां पर प्रयागराज से लेकर अवधपुरी तक का दर्शन हो रहा है। प्रतिवर्ष तीन लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पर पहुंच रहे हैं। यहां आसपास के जिलों के साथ ही अन्य प्रदेशों के लोग भी आते हैं।

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    बांस की कुटी में किया निवास

    जानकी नगर ग्राम पंचायत के करीब 50 एकड़ जमीन को बलरामपुर की राजमाता ने नाना जी को दान के रूप में दी थी। नानाजी देशमुख ने जयप्रभा ग्राम को अपनी कर्मस्थली बनाकर यहां करीब 30 वर्ष रहे। जयप्रभाग्राम के मानस झील के सामने नानाजी देशमुख बांस की कुटी बना कर रहते थे।

    सादगी भरे इस जीवन में नानाजी केवल लोगों के लिए आर्थिक निर्भरता व सामाजिक पुनर्रचना में ही लगे रहे। गोंडा-बलरामपुर के पांच सौ गांवों में बदलाव ला दिया। तमाम रोजगार परक अवसर भी मुहैया कराए। बलरामपुर जिले व नेपाल से सटे गांवों में थारू जनजाति के बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है।

    सुबह पांच से शाम नौ बजे तक होते दर्शन

    दीनदयाल शोध संस्थान ग्रामोदय प्रकल्प गोंडा के प्रकल्प प्रभारी रामकृष्ण तिवारी का कहना है कि भक्ति धाम की स्थापना इस मकसद से की गई थी कि एक ही जगह पर चारों धाम के दर्शन कर सके। सुबह पांच बजे से रात नौ बजे तक यहां पर मंदिर दर्शन के लिए खुला रहता है। इसके अतिरिक्त मंदिर चारों ओर से खुला है, जिससे कभी भी श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं। यहां पर पंचमुखी शिवालय भी स्थापित है, जहां पर लोग पूजन अर्चन करते हैं।

    इसके अतिरिक्त घनश्याम महराज की जन्मस्थली छपियाधाम, प्रसिद्ध दुखहरन नाथ, भीम द्वारा स्थापित पृथ्वीनाथ मंदिर, परसपुर में भगवान वाराह, तुलसी जन्मभूमि सूकर खेत का दर्शन करना न भूले।

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    मान्यता है कि यहां दर्शन करने से शांति की अनुभूति होती है। यही से आप बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में स्थित शक्तिपीठ देवीपाटन, बिजली भवानी का भी दर्शन कर सकते हैं। यही नहीं, आप यही से नेपाल की वादियों का भी लुफ्त उठा सकते हैं।

    कैसे पहुंचें भक्तिधाम

    जयप्रभाग्राम स्थित भक्तिधाम की दूरी लखनऊ से 145 किलोमीटर और गोंडा से 28 किलोमीटर है। यहां रोडवेज बस, ट्रेन व निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। लखनऊ से आने वाले श्रद्धालु गोंडा रोडवेज डिपो से बलरामपुर डिपो की बस से गंतव्य तक पहुंच सकते हैं। निजी वाहन से आने वाले श्रद्धालु गोंडा होकर पहुंच सकते हैं।

    लखनऊ से श्रद्धालु बलरामपुर जाने वाली ट्रेन से इटियाथोक स्टेशन पहुंचें। यहां से टैक्सी से भक्तिधाम पहुंचा जा सकता है। जयप्रभाग्राम से अयोध्याजी दूरी करीब 80 किलोमीटर दूरी है। जो बस या ट्रेन से पहुंच सकते हैं। गोंडा से छपिया धाम मंदिर दूरी करीब 78 किलोमीटर आप बस, ट्रेन व निजी वाहन से तय कर सकते हैं।

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    परसपुर में स्थित भगवान वाराह मंदिर व उमरीबेगमगंज स्थित मां वाराही का दर्शन करने के लिए गोंडा से बस या निजी वाहन से पहुंच सकते हैं। जयप्रभाग्राम से पृथ्वीनाथ मंदिर करीब 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां टैक्सी, निजी वाहन या बस से भी पहुंच सकते हैं।

    जयप्रभाग्राम से तुलसीपुर शक्तिपीठ दूरी करीब 41 किलोमीटर बस, निजी वाहन या ट्रेन से पहुंच सकते हैं।

    'मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं'

    पद्म विभूषण और अन्य कई सम्मान पा चुके नानाजी का जीवन काफी सादगी भरा रहा। कठोर परिश्रम ने ही नानाजी को इस मुकाम तक पहुंचाया। जयप्रभा ग्राम के मुख्य द्वार पर नानाजी का जीवन सूत्र वाक्य मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं, अपने वे हैं जो पीड़ित और उपेक्षित है लोगों को प्रेरणा देता है।