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    Gonda train accident: गोंडा ट्रेन हादसे से सवालों के घेरे में सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां, मरने वालों की संख्या हुई चार

    उत्तर-प्रदेश के गोंडा में गुरुवार को गोंडा-गोरखपुर रेलमार्ग पर मोतीगंज के पिकौरा गांव के पास चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की पांच बोगियां पलट गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हुई है दो की पहचान नहीं हो पाई है। वहीं 30 से अधिक यात्रियों के घायल होने की सूचना है। रेलवे व पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री योगी ने हादसे पर संज्ञान लिया है।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 20 Jul 2024 08:58 AM (IST)
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    ट्रेन हादसे में दो मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है। जागरण

     जागरण संवाददाता, गोंडा। उत्तर प्रदेश के गोंडा में गत गुरुवार को चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों पर सवाल उठने लगे हैं। ट्रेन की बोगियां जिस प्रकार पलटी हैं, वह संदेह पैदा करती हैं। रेलवे अधिकारी जलजमाव के कारण पटरी धंसने की बात पहले ही खारिज कर चुके हैं और लोको पायलट द्वारा इमरजेंसी ब्रेक लगाने की बात जांच का केंद्रबिंदु है।

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    उधर, ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या चार हो गई है। शुक्रवार को डिब्बे के नीचे दबे एक अज्ञात युवक का शव मिला है। गुरुवार को तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो गई थी, जिसमें एक की शिनाख्त अब तक नहीं हो सकी है। पटरी धंसने की बात से स्थानीय रेल प्रशासन भी इन्कार कर रहा है, क्योंकि इस ट्रेन से 25 मिनट पहले ही जननायक एक्सप्रेस इसी मार्ग से होकर निकली थी, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ था।

    सवाल है कि 25 मिनट के भीतर ऐसा क्या हुआ कि ट्रेन की बोगियां पलट गईं और इंजन व इसके पीछे लगे सामान ब्रेक और जेनरेटर कार को कोई नुकसान नहीं हुआ। यही नहीं, लगेज व गार्ड के डिब्बे को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है। सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। लोको पायलट के साथ आसपास के लोगों ने भी धमाका सुना और उसके बाद ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

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    यही कारण है कि एटीएस ने भी रेल विभाग के साथ ही जांच शुरू की है। अधिकारी कुछ भी स्पष्ट बोलने से बच रहेपूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी महेश गुप्ता ने कहा कि रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना को जांच सौंपी गई है। वह 21 जुलाई से जांच शुरू करेंगे। जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा।

    हादसे को लेकर अधिकारी कुछ भी स्पष्ट बोलने से बच रहे हैं। शुक्रवार दोपहर आरपीएफ के आइजी तारिक अहमद ने जांच की, लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने कहा कि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। प्रसारित हो रहा लोको पायलट का आडियो शुक्रवार को इंटरनेट मीडिया पर तेजी से एक आडियो प्रसारित हो रहा है, जिसमें दो लोग बात कर रहे हैं।

    एक तरफ से रोने की आवाज आ रही है। दावा किया जा रहा है कि रोने वाला व्यक्ति एक्सप्रेस का लोको पायलट है, जो कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारी से बात कर रहा है। ऐसे आडियो की दैनिक जागरण पुष्टि नहीं कर रहा है।

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    उठ रहे ये सवाल ?

    - ट्रेन का इमरजेंसी ब्रेक क्यों लगाया गया?

    - रेलपथ निरीक्षक कहां थे?

    - पटरी की मरम्मत हो रही थी तो ट्रेन की गति सीमा को लेकर क्या किया गया था?

    - ऐसा क्या इनपुट है, जो एटीएस गुरुवार रात में ही जांच करने पहुंच गई।

    10 यात्रियों का पता नहीं चल रहा

    ट्रेन हादसे में 30 घायलों का उपचार चल रहा है। उधर, अपनों की तलाश में स्वजन घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं। हादसे के बाद 10 यात्रियों का पता नहीं चल रहा है। उनके स्वजन परेशान हैं। सुरक्षा बल के जवान व अधिकारी भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। रेलवे की महाप्रबंधक सौम्या माथुर समेत अन्य अधिकारी मौके पर राहत व बचाव कार्यों में जुटे हैं।

    दुर्घटना में 800 मीटर रेल लाइन व 1100 मीटर इलेक्ट्रिक लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। इनकी मरम्मत के लिए रेलवे के इंजीनियरिंग कर्मियों को लगाया गया है। रेल लाइन व इलेक्ट्रिक लाइन को सही करने के लिए 500 से अधिक कर्मचारी व श्रमिक जुटे रहे।

    पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी महेश गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार शाम पांच बजकर नौ मिनट पर डाउन ट्रैक पर मालगाड़ी चलाई गई है। अप ट्रैक पर मरम्मत चल रही है।

    पटरी में फैलाव की चार दिन पहले मिल गई थी अधिकारियों को सूचना

    गोंडा हादसे में पटरी के बकलिंग होने की बात सामने आ रही है। अधिक गर्मी के कारण पटरियों के फैलने की क्रिया को बकलिंग कहते हैं। दावा किया जा रहा है कि कीमैन स्नेह ने चार दिन पहले सीनियर सेक्शन इंजीनियर और सहायक अभियंता को पटिरयों में बकलिंग की सूचना दे दी थी। इसके साक्ष्य भी कीमैन के पास मौजूद हैं। इसके बावजूद पटरी के ज्वाइंट को खोलकर उसे डीस्ट्रेस नहीं किया गया।

    डीस्ट्रेस करने के लिए पटरी को खोलकर बढ़े हुए हिस्से को काटने के बाद उसे कुछ देर के लिए छोड़ दिया जाता है। अधिक तापमान में पटरी के बढ़ने के बाद उसे फिर से जोड़ा जाता है। अब सीआरएस की जांच में इस कीमैन का बयान बहुत मायने रखेगा।