धरती माता को मुक्त कराने के लिए विष्णु ने लिया था वराह अवतार
गोंडा : महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि जब-जब
गोंडा : महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि जब-जब धर्म की हानि होती है। अधर्म बढ़ता है। तब, तब मैं दुष्टों के विनाश व धर्म की स्थापना के लिए अवतरित होता हूं। धर्म की रक्षा व अधर्म का नाश करने के लिए चारों युगों में भगवान विष्णु ने दस अवतार लिए। इसमें तीसरा अवतार उन्होंने मां पृथ्वी को दैत्य हिरण्याक्ष के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सतयुग में वराह के रूप में लिया। कहते हैं कि जिस स्थान पर भगवान ने अवतार लिया वह वर्तमान में यहां के पसका सूकरखेत के रूप में जाना जाता है। 12 सितंबर को वराह जयंती पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन पूजन करने आएंगे।
कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के जुड़वा पुत्र हिरण्याक्ष व हिरण्या कश्यप पैदा हुए। दोनों के उत्पात से देवता परेशान हो गए लेकिन, ब्रह्मा से मिले वरदान से दोनों दैत्यों का कोई कुछ नहीं कर पा रहा था। एक समय तो ऐसा आ गया कि हिरण्याक्ष ने मां पृथ्वी को चुरा करके पाताल लोक में चारों तरफ से मैला एकत्र करके उसी में छिपा दिया। इसके चलते देवताओं में हाहाकार मच गया। पृथ्वी को मुक्त कराने के लिए देवतागण भगवान विष्णु की शरण में गए। देवताओं की करुण पुकार सुनकर भगवान विष्णु सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा के नाक से सूकर (सूअर) के रूप में अवतरित होकर दैत्य हिरण्याक्ष का वध करके मां पृथ्वी को पुन: स्थापित किया। पौराणिक ग्रंथ रुद्रयामल तंत्र के अयोध्या खंड में इसका वर्णन भी मिलता है। पसका में भगवान वराह के विशाल मंदिर में उनकी प्रतिमा स्थापित है। यह स्थल अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग पर पड़ता है। इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है। जिससे यह स्थान विश्व के नक्शे पर अपना स्थान बना सके।
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