अब झील, ताल और नाले बुझाएंगे पार्वती-अरगा पक्षी विहार की प्यास, बनी रहेगी पानी की उपलब्धता
पार्वती-अरगा पक्षी विहार की जल समस्या का समाधान अब झीलों, तालाबों और नालों से किया जाएगा। इससे पक्षी विहार में पानी की उपलब्धता बनी रहेगी, जिससे पक्षि ...और पढ़ें
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अब झील, ताल और नाले बुझाएंगे पार्वती-अरगा पक्षी विहार की प्यास।
संवाद सूत्र, गोंडा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली रामसर साइट पार्वती-अरगा पक्षी विहार में पानी की उपलब्धता निरंतर बनाए रखने के लिए एक बार फिर कवायद शुरू की गई है। सिंचाई विभाग के सरयू नहर परियोजना से पक्षी विहार को जोड़ने के लिए बजट देने से इन्कार करने के बाद प्रशासन ने नया रास्ता खोजा है। अब प्राकृतिक नालों, ताल व झील को आपस में जोड़कर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी।
डीएम प्रियंका निरंजन ने प्राकृतिक नालों के सर्वेक्षण एवं लेबल बुक तैयार करने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को सौंपी है। पार्वती-अरगा पक्षी विहार में 1084 हेक्टेयर में फैली हुई है। यहां सात समंदर पार से हरसाल प्रवासी पक्षी आते
हैं।
- 1084 हेक्टेयर है पार्वती-अरगा पक्षी विहार का क्षेत्रफल।
- 12 हजार हेक्टेयर में फैली है टिकरी क्षेत्र की पार्वती-अरगा झील।
- 45 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय से है पार्वती-अरगा पक्षी विहार।
- 22 किलोमीटर दूर अयोध्याधाम से है पार्वती-अरगा पक्षी विहार।
- 09 किलोमीटर है पक्षी विहार का क्षेत्रफल।
- 09 गांवों से होकर गुजरती है झील।
कैसे जुड़ेगा ताल, नाला व झील का नेटवर्क
पथरी/नौखान ताल को टेढ़ी नदी से चौबेपुर नाला जुड़ा हुआ है। पथरीताल/नौखान ताल को कोंड़र झील से जोड़ा जाएगा। इसके बाद कोंड़र झील पार्वती-अरगा पक्षी विहार से जोड़ने पर विचार किया जाएगा। यदि यह प्रयास सफल हुआ तो पक्षी विहार में प्राकृतिक रूप से पर्याप्त जल उपलब्ध हो जाएगाा। डीएम ने एसडीएम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।
केंद्र सरकार को भेजा गया था 16 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
पक्षी विहार को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित करने की कवायद चल रही है। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह की मांग व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर स्थल विकास के लिए 16 करोड़ रुपये का प्रस्ताव नौ माह पूर्व केंद्र सरकार को भेजा गया था। अतिथियों के लिए गेस्ट हाउस, नौका विहार के लिए बोट, पौधारोपण, पक्षियों के लिए आश्रय स्थल का निर्माण कराया जाना है।
धार्मिक अतीत की यादें संजोए है पक्षी विहार
पार्वती-अरगा पक्षी विहार पर्यटन के साथ ही धार्मिक अतीत की यादें संजोए हुए है। किवंदतियों के अनुसार ये स्थान माता पार्वती व भगवान महादेव के अटूट प्रेम की निशानी है। पार्वती झील ही नहीं, बल्कि इसके नाम से गांव भी बसा हुआ है। यहां भगवान महादेव का प्राचीन मंदिर भी है। ये झील नौ गांवों से होकर गुजरती है। यहां सर्द मौसम में हरसाल प्रवासी पक्षी आते हैं।
इन गांवों में पक्षी विहार
टिकरिया, लक्ष्मणपुर, गौरिया, मधवापुर, कोठा पार्वती झील, हरिहरपुर, चांदपुर, कोठा व बहादुरा में अरगा झील है।
मध्य एशिया से आते हैं काज और चट्टा
ये रामसर साइट 35 से अधिक विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का घर है। सर्दी के मौसम में यह प्रवासी पक्षी एशिया व यूरोप के अन्य देशों से यहां आते हैं। इनमें ब्राउन हेडेड गल यानि भूरा सिर ढोमरा, ब्लैक हेडेड गल यानि काला सिर ढोमरा, जल कुकरी, लालसर, सुर्खाब, नीलसर, बेतुल, बतख, कामनकूट (ठेकड़ी), सफेद रंग के गैरी पक्षियों छोटी मुर्गाबी, नकटा, गिरी व सुर्खाब, काज, चट्टा व लगलग प्रमुख हैं।
इसके अलावा स्थानीय व बाहरी पक्षियों में काला तीतर, भूरा तीतर, बटेर, रंगीन बटेर, लक बटेर, पहाड़ी भट तीतर, भट तीतर, जंगली मैना, अगरका, खजन लाल मोनिया, बया, छपका, नीलकंठ, धनेश, कठफोड़वा, बाज, चील और हरियल पक्षी शामिल हैं। जो पर्यटकों को लुभाते है। यहां विभिन्न तरह के पौधों की प्रजाति भी पाई जाती है। यहां पौधों के 73 परिवारों से संबंधित लगभग 283 प्रजातियां और एक उप-प्रजातियां हैं।

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