2.25 करोड़ घूस मांगने में फंसे जिला समन्वयक को नहीं मिली राहत, FIR निरस्त करने की याचिका खारिज
गोंडा में 2.25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में फंसे जिला समन्वयक को कोर्ट से राहत नहीं मिली। न्यायालय ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने ...और पढ़ें

घूस मांगने में फंसे जिला समन्वयक को नहीं मिली राहत।
संवाद सूत्र, गोंडा। फर्नीचर आपूर्तिकर्ता फर्म से सवा दो करोड़ रुपये रिश्वत मांगने और 30 लाख रुपये एडवांस लेने के मामले में जिला समन्वयक प्रेम शंकर मिश्र को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। कोर्ट ने उनकी एफआईआर निरस्त करने की याचिका खारिज कर दी है।
मोतीगंज थाने के ग्राम किनकी निवासी व हरियाणा के गुरुग्राम स्थित नीमन सीटिंग साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज पांडेय ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था।
उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी जेम पोर्टल पर पंजीकृत है और उसे गोंडा में 564 उच्च प्राथमिक व संकुल विद्यालयों के लिए फर्नीचर सप्लाई के टेंडर में एल-1 (सबसे कम दर देने वाली फर्म) घोषित किया गया था। करीब 15 से 16 करोड़ रुपये के इस कार्य में बीएसए अतुल कुमार तिवारी, जिला समन्वयक (जेम) प्रेम शंकर मिश्र और जिला समन्वयक (सिविल) विद्याभूषण मिश्र ने उनसे 15 प्रतिशत कमीशन के रूप में 2.25 करोड़ रुपये की मांग की थी।
आवेदक का कहना है कि चार जनवरी 2025 को उसे राजकीय हाउसिंग कालोनी गोंडा स्थित बीएसए के आवास पर बुलाया गया, जहां उसने 22 लाख बीएसए और चार लाख रुपये दोनों समन्वयकों को दिया। बाद में शेष रकम न देने पर उसका 50.38 लाख का डिमांड ड्राफ्ट लौटाकर टेंडर रद करा दिया गया।
जब उसे लगा कि काम नहीं मिलेगा तो उसने रुपया वापस मांगा। प्रेम शंकर मिश्र ने एक लाख वापस किया, लेकिन बीएसए अतुल कुमार तिवारी और डीसी विद्याभूषण मिश्र ने रुपया देने से इंकार करते हुए अपशब्द कहकर उसे कार्यालय से निकाल दिया और फर्म को दो वर्ष के लिए काली सूची में डलवा दिया।
31 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) कोर्ट नंबर पांच गोरखपुर विपिन कुमार तृतीय ने कोतवाली नगर गोंडा के प्रभारी निरीक्षक को बीएसए अतुल कुमार तिवारी और जिला समन्वयक प्रेमशंकर मिश्र व विद्याभूषण मिश्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना कराने का आदेश दिया।
कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कर पुलिस विवेचना कर रही है। इस बीच मुकदमे में कार्यवाही और गिरफ्तारी से बचने के लिए जिला समन्वयक प्रेमशंकर मिश्र ने 14 नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की इलाहाबाद खंडपीठ में याचिका दायर कर एफआइआर निरस्त करने की मांग की।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अचल सचदेव की पीठ ने कहा कि यह याचिका इलाहाबाद खंडपीठ में नहीं दायर की जा सकती है। कुछ देर तक बहस करने के बाद याची के अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया तो कोर्ट ने याचिका निरस्त करने का आदेश दिया।
इसी मामले में सात नवंबर 2025 को मुख्य आरोपित बीएसए की रिट याचिका लखनऊ हाईकोर्ट में खारिज हो चुकी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से बल न देने और वापस लेने के आधार पर न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन और न्यायमूर्ति राजीव भारती ने याचिका निरस्त करने का आदेश दिया था।

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