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    यूपी के इस जिले में अज्ञात बीमारी से हो रही पशुओं की मौत, लंपी वायरस के लक्षण से डॉक्टर हैरान

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 02:25 PM (IST)

    गोंडा जिले में अज्ञात बीमारी से गाय और भैंसों की मौत हो रही है जिससे पशुपालक चिंतित हैं। वे इसे लंपी रोग बता रहे हैं जबकि विभाग इससे इनकार कर रहा है। जिले में एक हजार से अधिक पशु लंपी वायरस से पीड़ित हैं। प्रभावित गांवों में टीकाकरण की मांग की जा रही है और विभाग द्वारा टीकाकरण किया जा रहा है।

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    अज्ञात बीमारी से गाय व भैंस की मौत और लंपी वायरस ने पसारा पांव।

    जागरण टीम, गोंडा। जिले में अज्ञात बीमारी से गाय व भैंस की मौत हो गई है। पशुपालक पशुओं की मौत का कारण लंपी रोग बता रहे हैं जबकि, विभाग ने इन्कार किया है। जिले में लंपी रोग से पीड़ित पशुओं की संख्या एक हजार से अधिक हो गई है।

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    हलधरमऊ के बालपुर बाजार व हलधरमऊ व भुलभुलिया अस्पताल के छिटनापुर, गोगिया, सालपुर, हड़ियागाड़ा, मैजापुर, भट्टाचार्यपुरवा, हरसिहपुर, बासगांव, पतिसा,परसागोंडरी समेत 20 गांवों के करीब 200 पशु लंपी वायरस से पीड़ित हैं।

    नंदापुरवा निवासी शुभम मिश्रा ने बताया कि बीमारी के कारण भैंस की मौत हो गई है, जिसकी कीमत करीब एक लाख रुपये थी। गोगिया गांव के प्रधान सालिकराम ने बताया कि गांव के कालीशरन की एक गाय की लंपी वायरस के चपेट में आने से मौत हो गई है।

    बांसगांव के सतीश तिवारी, सिकरी के वीरेंद्र सिंह, बालपुरजाट प्रधान रज्जू यादव, विनोद पासवान, राकेश सिह प्रधान, शुद्वम सिह ने गांव में तत्काल टीकाकरण की मांग की।

    हलरधमऊ ब्लाक के नोडल चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल कुमार, बालपुर फार्मासिस्ट पंकज चौधरी, कहना है कि गांव में तेजी से टीकाकरण कराया जा रहा है।

    पशुधन प्रसार अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय सहित अन्य प्रकार के काढ़ा पिलाएं।

    साफ सुथरा चारा व खानपान की व्यवस्था करें, इससे संक्रमण फैलने की गुंजाइश कम होगी और आराम मिलेगा।

    लंपी वायरस का असर सिर्फ गोवंशीय पशुओं पर होता है। लंपी वायरस के कारण अभी जिले में एक भी पशु की मौत नहीं हुई है। हलधरमऊ व परसपुर में पशुओं के मौत को लेकर संबंधित चिकित्सक से रिपोर्ट मांगी जा रही है। प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं का टीकाकरण कराया जा रहा है। -डॉ. एसके शर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी गोंडा।

    • 1000 से अधिक पशु लंपी वायरस से पीड़ित।
    • 800 पशु बीमारी से ठीक हुए।
    • 200 से अधिक पशुओं में बीमारी सक्रिय।
    • 1.50 लाख डोज वैक्सीन की मांग की गई।
    • 60 हजार डोज वैक्सीन जिले को मिली।
    • 55 हजार डोज वैक्सीन पशुओं को लगाई गई।

    क्या है लंपी वायरस

    लंपी वायरस, जिसे गांठदार त्वचा रोग भी कहा जाता है। ये एक संक्रामक बीमारी है जो पशुओं को प्रभावित करती है। यह बीमारी पाक्सविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होती है। जिसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है।

    लंपी वायरस के कारण पशुओं को तेज बुखार आता है, त्वचा पर गांठें निकल आती हैं, और दूध उत्पादन में कमी हो सकती है। सबसे ज्यादा इस बीमारी का प्रभाव गोवंशीय पशुओं में होता है। भैंस में इसका प्रभाव कम रहता है।

    क्या हैं लक्षण

    लंपी वायरस के लक्षण, पशुओं को तेज बुखार, त्वचा पर गांठें, पैरों में सूजन, दूध उत्पादन में कमी, मुंह से लार आना और नाक-आंख से पानी बहना है।

    बचाव के लिए क्या करें

    पशुओं का टीकाकरण, स्वस्थ पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखना, मक्खियों और मच्छरों से बचाव, पशुशाला की सफाई और कीटाणुरहित करना, संक्रमित पशुओं को संतुलित आहार देना।

    लंपी वायरस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें

    ये बीमारी हवा, छींकने, थूकने या लार से नहीं फैलती है। पशुओं के साथ में चारा खाने या पानी पीने से भी बीमारी का असर नहीं होता है। ये बीमारी संक्रमित पशु के संपर्क में आने से फैलती है।

    लंपी वायरस का असर कुछ दिनों तक रहता है, लेकिन उचित उपचार से पशु ठीक हो जाते हैं। लंपी वायरस से संक्रमित पशु का दूध बछड़े को नहीं पिलाना चाहिए।