आबादी थी ज्यादा, बड़ागांव से बन गया बड़गांव
गोंडा : बड़गांव को पहले बड़ागांव के नाम से जाना जाता था। गांव का क्षेत्रफल ही नहीं बल्कि आबादी भी अधिक
गोंडा : बड़गांव को पहले बड़ागांव के नाम से जाना जाता था। गांव का क्षेत्रफल ही नहीं बल्कि आबादी भी अधिक थी। ये बात बुजुर्ग कहते हैं, वक्त के साथ गांव का काफी हिस्सा शहर में शामिल होता गया। बड़गांव को बहुत कुछ तो नहीं मिला, लेकिन पुलिस चौकी के साथ ही अन्य स्थल इसी नाम से जाने जाते थे। शहर से सटे गांव में व्यवसायी अधिक हैं।
इनपर है नाज
- गांव के ही रक्षाराम चौधरी सब इंस्पेक्टर से 2016 में बलरामपुर जिले से रिटायर हुए हैं। इनका बड़ा बेटा धर्मेंद्र चौधरी बंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जबकि छोटा बेटा वीरेंद्र चौधरी हरदोई में न्यायाधीश।
नवीन गल्ला मंडी रोजगार का जरिया-गांव में ही नवीन गल्ला मंडी स्थापित है। यहां मजदूरों को रोजगार मिल जाता है। जबकि काफी संख्या में लोग खुद का व्यवसाय करते हैं। खेती-किसानी करने वाले कम लोग हैं, सरकारी कर्मचारी भी काफी संख्या में हैं।
आधारभूत ढांचा
-गांवमें सात मजरे हैं। जिसमें खैराबाग, नई बस्ती, मंशापुरी, नाथनगर, बलवंतपुरवा, कोटिया व इमिलिया गुरुदयाल शामिल हैं। आबादी 5023, जबकि
मतदाता 3600 हैं। एक प्राइमरी स्कूल के साथ ही एक जूनियर स्कूल भी है।
पोस्ट ऑफिस के साथ ही गांव में ही पुलिस चौकी है। थाना व अस्पताल की गांव से दूरी एक किलोमीटर है। गांव में हैंडपंप के जरिए लोग पानी पीते हैं, जबकि तीन तालाब भी हैं।
यह हो तो बने बात
- जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। शुद्ध पानी के लिए पाइप लाइन परियोजना की
जरूरत है। सफाई व्यवस्था चौपट है। सड़क बदहाल हैं। रोजगार के लिए न तो बड़ा उद्योग हैं और न कोई अन्य व्यवस्था।
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