घनश्याम महाराज की स्मृतियों को संजोने मे जुटे गुजरात के सेवादार
गोंडा गुजरात के कछ से आया 30 सेवादारों का समूह खाद्य सामग्री तक लेकर आए हैं सेवादार। ...और पढ़ें

रमन मिश्र, गोंडा : भगवान घनश्याम महाराज की जन्मस्थली स्वामी नारायण छपिया की स्मृतियों को संजोने में गुजरात के कच्छ से आए सेवादार जुटे हुए हैं। वह मंदिर परिसर में पुरानी गोशाला व अन्य ऐसे स्थलों के सुंदरीकरण में लगे हुए हैं, जो बारिश का पानी भरने के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे। खास बात तो यह है कि सेवादार यहां पर निश्शुल्क सेवाएं दे रहे हैं। बीते माह मंदिर परिसर में कई जगह फर्श टूट गई थी। ऐसे में गुजरात के कच्छ के तीस सेवादारों का ग्रुप यहां पर पहुंचा। इस ग्रुप ने यहां पर टूटी फर्श की मरम्मत, दीवारों की रंगाई पुताई व अन्य कार्य शुरू कर दिए। परिसर के सुंदरीकरण में जुटे सेवादारों का कहना है कि भगवान घनश्याम महाराज उनके आराध्य है। उनके निमित्त जो भी किया जाए, कम है। मंदिर के महंत देव स्वामी का कहना है कि सेवादारों का प्रयास सराहनीय है। यह सेवादार हर साल आकर यहां पर अपना योगदान देकर चले जाते हैं। भगवान घनश्याम महाराज के प्रति इन सेवादारों का अटूट विश्वास है।
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स्वामी नारायण मंदिर एक नजर में
- स्वामी नारायण मंदिर छपिया धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से अहम है। यह स्थल स्वामी नारायण भगवान की पावन जन्मभूमि है। उनका जन्म 1781 में छपिया में घनश्याम पांडेय के रूप में हुआ था। 11 वर्ष की आयु में ही उन्होंने देश भर में तीर्थ स्थलों की यात्रा शुरू की। उसी दौरान उनकी मुलाकात स्वामी रामानंद महाराज से हुई। उन्होंने उनका नाम सहजानंद रख दिया। स्वामी सहजानंद ने गांव-गांव घूमकर लोगों को स्वामीनारायण मंत्र जपने को कहा। उन्हें स्वामी नारायण भगवान के नाम से जाना जाता है। विशेषता
- मंदिर संगमरमर से बना हुआ है। यह वास्तु कला का बेहतरीन नमूना है। मंदिर के पास ही सरोवर भी है। यहां पर गुजरात के साथ ही अमेरिका, इंग्लैंड अफ्रीका समेत 21 देशों से लोग दर्शन करने आते हैं।

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