Krishna Janmashtami: राधाकुंड तो कहीं गोवर्धन,राजपरिवार के साथ कृष्ण भक्ति में रमा आमजन
गोंडा जिले में अयोध्या के निकट श्री राम के साथ कृष्ण भक्ति की गहरी छाप है। 17-18वीं सदी में यहाँ के राजा-रानी भी कृष्ण के दीवाने थे। राजा शिव प्रसाद सिंह ने सगरा तालाब और कृष्ण मंदिर बनवाया। राजा गुमान सिंह वृंदावन में रहने लगे तो रानी ने सगरा तालाब के किनारे गोवर्धन पर्वत बनवाया। प्रजा भी कृष्ण भक्ति में रंग गई थी।

पवन मिश्र, जागरण गोंडा। अयोध्याजी से सटे जिले में श्री रामनाम की धूम के साथ श्री कृष्ण भक्ति की भी अमिट छाप मौजूद है। 17-18 वीं शताब्दी में यहां के राज परिवारों पर कान्हा की भक्ति का ऐसा रंग चढ़ा था,जिसकी स्मृतियां अब भी जीवंत हैं। हालांकि उपेक्षा की चादर ने इन्हें धुंधला जरूर कर दिया है फिर भी ये उस समय के साक्षी हैं कि जब यहां प्रजा ही नहीं राजा व रानी भी नन्दलाला के दीवाने थे।
17 वीं शताब्दी में भगवान श्री कृष्ण के भक्त रहे यहां के नरेश शिव प्रसाद सिंह ने सगरा तालाब व उसके बीच श्री कृष्ण का मंदिर बनवाया था,जो मालवीय नगर में अब भी है। 18 वीं शताब्दी में राजा गुमान सिंह हुए,जो अपना ज्यादा समय वृंदावन में बिताने लगे इससे चिंतित हुई उनकी रानी भागवंत कुंवरि ने उन्हें बहुत मनाने की कोशिश की,लेकिन वह आने को तैयार नहीं हुए। इस पर रानी ने यहां सगरा तालाब के किनारे काल्पनिक गोवर्धन पर्वत बसाया। सागर तालाब के मध्य टापू पर वृंदावन बसाते हुए उसमें श्याम सदन, कृष्ण कुंज, गोपाल बरसाना भी बनवाए।
इसके बाद लौटे राजा गुमान सिंह ने भी रानी के लिए राधाकुंड बनवा दिया। जानकार के मुताबिक राजा के साथ पूरी प्रजा कृष्ण की भक्ति में रंग गई थी। जगह-जगह कृष्ण मंदिरों का निर्माण हुआ,भले ही ये सभी खंडहर हो गए हैं,लेकिन यह अब भी यहां कृष्ण भक्ति का एहसास करा रहे हैं।
मालवीय नगर के सगरा तालाब के बीच श्री कृष्ण का मंदिर। जागरण
स्थापत्य कला के अद्भुत नमूनों को सुंदरीकरण की आस
स्थापत्य कला के अद्भुत व शानदार नमूने रहे सगरा तालाब,राधाकुंड व मंदिर के सुंदरीकरण के लिए योजनाएं तो बहुत बनीं, लेकिन जमीन पर नहीं उतर सकी। साल भर पहले तय हुआ कि सगरा तालाब का सुंदरीकरण कर शिलापट में स्वाधीनता इतिहास दर्ज कराया जाएगा।
बताया जा रहा है कि सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह की मांग पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे स्वीकृति दी। इसमें तालाब की सिल्ट सफाई करते हुए उसके किनारे सौ से अधिक पोल लाइट भी लगाई जानी थी,जिससे यह परिक्षेत्र जगमग रोशन रहता।
यह कार्य शुरू होने के बाद कार्यदायी संस्था ने तकनीकी कारण बताकर हाथ खड़े कर दिए। उधर राधाकुंड के चारों तरफ रेलिंग लगाते हुए अंदर फव्वारा लगाया जाना था,वह भी नहीं हो पाया। राधाकुंंड के सभासद अलंकार सिंह ने बताया कि ऐतिहासिक स्थलों के सुंदरीकरण के लिए लगातार ज्ञापन दे रहे हैं,लेकिन सुनवाई नहीं हुई,जिसके चलते ये मिटते जा रहे हैं।
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