जरा याद करो कुर्बानी : गांधी पार्क को विकास की आस, बापू की प्रतिमा है खास
नंदलाल तिवारी, गोंडा : देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए यहां के सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। आजादी के दीवानों के शौर्य की अनगिनत गाथाएं लोगों की जुबां पर है। मुख्यालय स्थित गांधी पार्क में महात्मा गांधी की संगमरमर की साढ़े नौ फीट ऊंची प्रतिमा का बड़ा नाम है। इटली में बनी प्रतिमा अपने आप में खास है। 1950 में बने गांधी पार्क के विकास को लेकर कई प्रयास किए गए, कई बार रणनीति बनाई गई। अमृत योजना से प्रस्ताव तैयार किया गया लेकिन, विकास को अभी तक रफ्तार नहीं मिल सकी। गांधी पार्क में कई स्ट्रीट लाइटें खराब है। यहां पर गंदगी है। ऐसे में यहां पर आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए सीढ़ी का निर्माण नहीं हो सका। ऐसे में हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर यहां अलग से सीढ़ी लगानी पड़ती है। वैसे, जब देश को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी भारतीयों में अलख जगाने का काम कर रहे थे। वर्ष 1929 में वह गोंडा आए थे। मालवीयनगरमें सरयू प्रसाद कन्या पाठशाला में वह ठहरे थे। विद्यालय के पुराने भवन में उन्हें ठहराया गया था, इसका स्वरूप उस वक्त मंदिर जैसा था। जागृति अभियान के तहत शाम को उन्होंने दुखहरणनाथ मंदिर के निकट व्याख्यान भी दिया था। इस मौके पर जुटे लोगों ने पांच सौ रुपये से अधिक की सहायता राशि एकत्र कर दी थी। इसके बाद वह मनकापुर गए थे। कालेज की पूर्व प्रधानाचार्य डा. ममता किरण राव कहती हैं कि इसी भवन में गांधी जी के आने की बात कही जा रही है। उनकी और आचार्य बिनोवा भावे की प्रेरणा से यहां स्कूल की स्थापना हुई। राजा देवी बख्श सिंह स्मारक समिति के मंत्री धर्मवीर आर्य का कहना है कि महात्मा गांधी ने देश में आजादी की अलख जगाने के लिए जिले का दौरा किया था। गांधी जी स्मृति में आज भी सरयू प्रसाद कन्या पाठशाला से कुछ दूरी पर स्थित गांधी पार्क है। यहां पर महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा लगी हुई है। गांधी पार्क के विकास को लेकर कई बार अधिकारियों से कहा गया लेकिन, कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
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