पुलिसिया क्रूरता बयां करती है दलित संतराम की मौत
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गोंडा, पुलिस का मानवीय चेहरा आज भी जनता के सामने नहीं आ पाया है। वह गंभीर से गंभीर घटना में भी शिथिलता बरतती और बहाना बनाती है। शुक्रवार की रात हुई दलित संतराम की मौत ताजा उदाहरण है जो पुलिस की घोर लापरवाही और क्रूरता बयां करती है।
कटरा भोगचंद गांव निवासी दलित संतराम की अपने भतीजे तिलकराम और उसके परिवार से मामूली विवाद में बीते 12 सितंबर को मारपीट हो गई थी। संतराम उसी दिन से कोमा में चला गया। इसकी शिकायत संतराम का परिवार थाने में जब तक करता, उससे पहले ही तिलकराम पक्ष ने स्थानीय पुलिस चौकी लकड़मंडी में सूचना देकर पुलिस को पक्ष में कर लिया। पुलिस ने 12 सितंबर की रात करीब 12 बजे संतराम को पकड़ने के लिए उसके घर दबिश दिया। इस मुहिम में चौकी प्रभारी जेपी भट्ट और उनके हमराह चार सिपाही शामिल रहे। गांव पहुंचने पर पुलिस टीम को संतराम बेहोशी की हालत में मिला। इस पर भी पुलिस नहीं पसीजी और उसे होश में लाने के लिए उस पर बाल्टी भर पानी डाल दिया, पिटाई भी की। इस पर भी जब संतराम को होश नहीं आया तो पुलिस ने उसकी पत्नी मंजू को हिदायत दी कि होश आते ही उसे चौकी भेज देना। इतना ही नहीं, तिलकराम और उसके बेटे विजय की पिटाई से संतराम को बचाने की कोशिश करने वाले शंकर उर्फ मोटे को पुलिस अपने साथ चौकी ले आई। मुफलिसी और लाचारी की शिकार मंजू पति के होश में न आने पर उसे अगले दिन फैजाबाद जिला अस्पताल लेकर पहुंची। यहां सीटी स्कैन कराने के बाद चिकित्सकों ने उसे इलाज के लिए लखनऊ ले जाने की सलाह दी। पैसे के अभाव में मंजू पति को लखनऊ न ले जा सकी और उसे लेकर गांव चली आई।
इसी बीच 14 सितंबर को संतराम के पुत्र रामकरन के खिलाफ तिलकराम की पत्नी गीता की तहरीर पर एनसीआर दर्ज कर ली गई। तिलकराम को जिला अस्पताल फैजाबाद भेज दिया। उधर 15 सितंबर को रामकरन की तहरीर पर तिलकराम व उसके पुत्र विजय तथा पत्नी गीता के खिलाफ मारपीट का एनसीआर दर्ज की गई। दो दिन तक पति की हालत में सुधार न देख मंजू उसे गोंडा जिला अस्पताल ले गई। यहां भी चिकित्सकों ने संतराम को लखनऊ ले जाने की सलाह दी। पैसे की तंगी के बीच 16 सितंबर को शाम गांव के ही जिपं सदस्य प्रतिनिधि दिनेश यादव व ग्राम प्रधान के पति गया प्रसाद उर्फ पलालू ने मंजू को इलाज के लिए आर्थिक सहायता दी। उसे अगले दिन लखनऊ ले जाने की योजना बनाई गई। 16 सितंबर की रात संतराम की हालत और बिगड़ गई और साढे़ आठ बजे के करीब उसकी मौत हो गई। संतराम की मौत का समाचार सुनकर पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। नवाबगंज थाने के साथ वजीरगंज थाने की पुलिस मृतक के घर पहुंची। पुलिस मृतक के पुत्र रामकरन को लेकर चौकी चली आई। पुलिस ने एनसीआर को गैर इरादतन हत्या की धारा में तरमीम कर दिया। संतराम को मौत तक पहुंचाने वाले तिलकराम, उसकी पत्नी गीता देवी, बेटे विजय और एक अन्य की भूमिका नियत करते हुए उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या की बात तो कही गई लेकिन उसमें पुलिस का जिक्र नहीं किया गया जिसने क्रूरता की हदें पार करते हुए संतराम को बेहोशी की हालत में पीटा।
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