पहचान को तरस रही महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि
वजीरगंज में स्थित है पतंजलि आश्रम नहीं पूरा हुआ विकास का वादा संवादसूत्र बालेश्वरगंज (गोंड
वजीरगंज में स्थित है पतंजलि आश्रम, नहीं पूरा हुआ विकास का वादा
संवादसूत्र, बालेश्वरगंज (गोंडा) : कोंडर गांव में महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि अपनी पहचान के लिए तरस रही है। महर्षि पतंजलि के नाम पर प्रदेश सरकार ने कर्नलगंज में सूचना प्रौद्योगिकी पालीटेक्निक व जिला प्रशासन ने मुख्यालय पर वेंक्टाचार्य क्लब परिसर में महर्षि पतंजलि स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का निर्माण कराया है। महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि को संरक्षित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए करीब दो दशक से संघर्ष कर रही पतंजलि जन्मभूमि न्याय समिति ने केंद्र व राज्य सरकारों को कई बार पत्र लिखा। बावजूद इसके अबतक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई।
यह स्थान अयोध्या से उत्तर और गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर सूकरखेत से पूर्वोत्तर वजीरगंज के कोंडर झील के तट पर स्थित है। न्यास के डॉ. भगवदाचार्य का कहना है कि महर्षि पतंजिल ने स्वयं व्याकरण महाभाष्य में अपनी जन्मस्थली कोंडर का जिक्र किया है। उन्होंने स्वयं को बार-बार गोनर्दीय कहा है। पतंजलि के जन्म से पहले सरयू नदी ने यहां से अपनी चंचलता का परित्याग किया। इसके बाद यहां कोंडर झील अस्तित्व में आई। मान्यता है कि महर्षि पतंजलि एकांतवास में बैठकर अपने शिष्यों को उपदेश दिया करते थे। एक दिन गुरु के दर्शन की लालसा में एक शिष्य ने अंदर झांका उसी दिन सर्पाकार महर्षि अ²श्य हो गए।
बकौल डॉ. भगवदाचार्य महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाकर पर्यटन स्थल घोषित करने के लिए समिति द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। केंद्र व प्रदेश सरकार को भी कई पत्र भेजे जा चुके हैं। समिति प्रत्येक वर्ष 21 जून को यहां कार्यक्रम आयोजित करती है। उन्होंने बताया कि कोंडर में एक योग विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था। आयुष मंत्रालय उस पर कार्रवाई कर रहा है। नहीं पूरा हुआ वादा
महर्षि पतंजलि न्याय समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में तत्कालीन काबीना मंत्री विनोद कुमार पंडित सिंह ने कहा था कि महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां व्यायामशाला, महर्षि पतंजलि की प्रतिमा, मंदिर परिसर व कोंडर झील का सुंदरीकरण कराने की बात कही थी।
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