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    गोंडा हादसा… दहशत के वो लम्हे, कोई खेत में पड़ा था तो कोई लगा रहा था मदद की गुहार

    Updated: Thu, 18 Jul 2024 11:17 PM (IST)

    मोतीगंज-झिलाही बाजार के बीच पिकौरा गांव के समीप चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की बोगियां पलटी हुई थी। कोई गन्ने के खेत में कराह रहा था तो कोई मदद की गुहार लगा रहा था। यात्री एसी कोच का शीशा तोड़कर निकलने की कोशिश कर रहे थे। स्थानीय ग्रामीण व पुलिस कर्मी मुश्किल घड़ी में बोगी में फंसे लोगों को निकलने की कोशिश करते दिखे।

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    झिलाहीबाजार-मोतीगंज के बीच पिकौरा गांव के समीप पलटा चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस का एसी कोच व लगी यात्रियों की भीड़। जागरण

    रमन मिश्र, गोंडा। दोपहर के करीब सवा तीन बज रहे थे। मोतीगंज-झिलाही बाजार के बीच पिकौरा गांव के समीप चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की बोगियां पलटी हुई थी। कोई गन्ने के खेत में कराह रहा था तो कोई मदद की गुहार लगा रहा था। यात्री एसी कोच का शीशा तोड़कर निकलने की कोशिश कर रहे थे। 

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    स्थानीय ग्रामीण व पुलिस कर्मी मुश्किल घड़ी में बोगी में फंसे लोगों को निकलने की कोशिश करते दिखे। किसी का चेहरा उतरा हुआ था तो कोई नई जिंदगी मिलने की बात कह रहा था। शरीर में चोट लगने के बावजूद यात्री लड़खड़ाते हुए सामान संभालते दिखे। 

    दुर्घटना के बाद अपनों से संपर्क करने के लिए हर कोई जद्दोजहद करता दिखा। दुर्घटना की दहशत ऐसी थी कि यात्री किसी तरह बोगी से निकलकर पैदल ही निकल पड़े। तीन से चार किलोमीटर पैदल चलकर यात्री सड़क पर पहुंचे। हादसे के बाद मसकनवा व मनकापुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को रोक दिया गया। रूट परिवर्तन के बाद आम्रपाली एक्सप्रेस रवाना हुई।

    ऐसा लगा कि अब अपनों से भेंट नहीं होगी

    बिहार के मोतिहारी की साबिया खातून, कलामुन लखनऊ से घर जा रही थीं। बातचीत में उन्होंने कहा कि आज नई जिंदगी मिली है। अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है कि मैं जिस बोगी में थी वह नहीं पलटी। किसी तरह लोगों ने मुझे बाहर निकाला। दुर्घटना के समय ऐसा लगा था कि अब अपनों से कभी भेंट नहीं होगी। 

    अंबाला में पढ़ाई कर रही बिहार की शिवपती सिंह ने कहा कि ये हादसा मुझे जिंदगी भर नहीं भूलेगा। गनीमत ये रही कि ट्रेन की रफ्तार कम थी। यदि रफ्तार ज्यादा होती तो शायद ही कोई बचता। हादसे की सूचना पाकर मम्मी-पापा परेशान होंगे। काफी देर से मैं कॉल कर रही हूं, लेकिन नेटवर्क समस्या के कारण बात नहीं हो पा रही है। फिलहाल, मैंने व्हाट्सएप पर मैसेज भेज दिया है। 

    संतकबीरनगर के वैभव का कहना था कि करीब दो बजकर 58 मिनट पर अचानक ट्रेन लड़खड़ाने लगी और बोगी पलट गई। पानी में घुसकर किसी तरह बाहर निकला। स्थानीय लोगों ने बोगी में फंसे यात्रियों की काफी मदद की है।

    एंबुलेंस के लिए मनुहार करता रहा गार्ड

    हादसे के बाद ट्रेन के सहायक चालक की तबीयत बिगड़ गई, इसको लेकर गार्ड परेशान हो गया। एंबुलेंस मंगाने के लिए वह लोगों से फोन करने की बात कहता दिखा। ट्रेन में मौजूद टेक्नीशियन ने बताया कि हादसे के बाद मुझे पावर काटने के लिए कहा गया था, जिसे काट दिया गया है।

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