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    सियासत से बनाई दूरी, चमकाई किसानी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 21 Sep 2019 10:42 PM (IST)

    साल 25-30 लाख रुपये की कमाई -दस एकड़ खेत में कर रहे टिश्यू कल्चर केले की खेती उद्यान विभाग से मिल चुका पुरस्कार वरुण यादव गोंडा पिता विधान परिषद में उप सभापति एक भाई इं

    सियासत से बनाई दूरी, चमकाई किसानी

    गोंडा : पिता विधान परिषद में उप सभापति, एक भाई इंजीनियर तो दूसरा डॉक्टर। ऐसे में मनकापुर राज घराने में छोटे भैया के नाम मशहूर कुंवर अतुल कुमार सिंह ने सियासत की जगह किसानी को चुना। वैसे तो वह खेती का कामकाज 1975 से देख रहे हैं, लेकिन 2009 में उनके बदले मिजाज ने खेती का रुख ही बदल दिया। केले की खेती ने उन्हें इन सबसे हटकर एक नई पहचान दिलाई, अब वह जिले व राज्य से बाहर एक प्रगतिशील किसान के नाम से जाने जाते हैं। दस एकड़ में केले की खेती से वह न सिर्फ हरसाल 25-30 लाख रुपये कमाई कर लेते हैं। केले की आपूर्ति जिले के अलावा दिल्ली व पंजाब में भी करते हैं। उद्यान विभाग से उन्हें अच्छे उत्पादक का पुरस्कार मिल चुका है।

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    वकालत की डिग्री, भा गई किसानी

    -मनकापुर राजघराने के कुंवर देवेंद्र प्रताप सिंह की सियासत में मजबूत पकड़ थी। वह मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी के कार्यकाल में सभा सचिव के साथ ही विधान परिषद में उप सभापति की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उनके बड़े बेटे विनय कुमार सिंह डॉक्टर व अनिल कुमार सिंह इंजीनियर हैं। जबकि छोटे पुत्र अतुल कुमार सिंह ने 1974 में विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। 1975 से वह 2009 तक लगातार परंपरागत खेती करते रहे। 2009 में उन्हें केले की खेती के बारे में जानकारी मिली। महराष्ट्र के जलगांव से टिश्यू कल्चर केले की पौध मंगाकर उसकी रोपाई। -अतुल सिंह केले की खेती नई तकनीक के माध्यम से कर रहे हैं। जिले के साथ ही वह दिल्ली की आजादपुर व पंजाब की मंडियों में आपूर्ति करते हैं। खेती से न सिर्फ उनकी कमाई हो रही है, बल्कि गांव के 30-35 लोगों को नियमित रोजगार भी मिल रहा है।

    -अनिल शुक्ल, उद्यान निरीक्षक गोंडा