Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    2.41 लाख किसानों को सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलती

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 12:30 PM (IST)

    गोंडा जिले में 2.41 लाख किसान फार्मर रजिस्ट्री से वंचित हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। तकनीकी खामियों और जागरूकता की कमी के कारण किसानों को परेशानी हो रही है। खतौनी और आधार कार्ड में नाम अलग होने या मोबाइल नंबर लिंक न होने से भी दिक्कतें आ रही हैं। अधिकारी जागरूकता बढ़ाने और शिविर लगाकर समाधान करने की बात कर रहे हैं।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, गोंडा। सोनीहरलाल की सुषमा देवी ने करीब एक बीघा भूमि बैनामा कराई थी। खतौनी के आदेश वाले कालम में तो उनका नाम दर्ज हो गया, लेकिन वह मूल खातेदार पांच वर्ष बाद भी नहीं बन सकीं। जब वह जनसेवा केंद्र पर फार्मर रजिस्ट्री कराने के लिए गईं तो उन्हें लौटा दिया गया। बड़गांव की मधु पांडेय की भी फार्मर रजिस्ट्री इसी कारण नहीं हो सकी। यह तो सिर्फ बानगी भर है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जागरूकता कमी तो कहीं तकनीकी खामियों ने फार्मर रजिस्ट्री की राह में बाधा उत्पन्न कर दी है। जिले में 2.41 लाख किसान ऐसे हैं, जिनकी फार्मर रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। साधन सहकारी समितियों से उर्वरक (खाद) व प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ सिर्फ फार्मर रजिस्ट्री आईडी के माध्यम से ही प्राप्त होने की अनिवार्यता ने किसानों को बेचैन कर दिया है। फार्मर रजिस्ट्री में गोंडा जिला प्रदेश में 50वें स्थान पर है।

    • 5.23 लाख किसानों की फार्मर रजिस्ट्री का लक्ष्य
    • 2.82 लाख किसानों ने कराई फार्मर रजिस्ट्री
    • 2.41 लाख फार्मर रजिस्ट्री से वंचित
    • 1800 जनसेवा केंद्रों पर फार्मर रजिस्ट्री बनने का है दावा

    क्या है दिक्कत

    चकबंदी वाले गांव की खतौनी राजस्व विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध न होने के कारण फार्मर रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। वसीयत, वरासत व बैनामा कराने वाले किसानों का नाम आदेश के कालम होने के कारण साफ्टवेयर नहीं ले रहा है। जिन किसानों के खतौनी व आधारकार्ड के नाम में अंतर है या फिर मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है, उनकी भी फार्मर रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है।

    जब भी किसान फार्मर रजिस्ट्री कराने के लिए जनसेवा केंद्र पर जाते हैं तो बताया जाता है कि खतौनी व आधारकार्ड में दर्ज नाम में अंतर है। कभी चेहरा, अंगुलियां व आंख की पुतली मैच नहीं होती है और वापस कर दिया जाता है। किसान कितनी बार केंद्र का चक्कर लगाए।

    - सूर्यप्रकाश, किसान

    अधिकांश किसानों के आधारकार्ड पुराने बने हैं। अब आधार से मोबाइल नंबर लिंक होना अनिवार्य है। जिन किसानों का नाम खतौनी व बैनामे के बाद आदेश के कालम दर्ज है, उनकी भी फार्मर रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। यदि शिविर लगाकर समस्याओं का समाधान कराने के साथ ही फार्मर रजिस्ट्री कराई जाए तो जिले की प्रगति सुधर सकती है।
    - उमापति त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष ग्राम प्रधान संगठन

    फार्मर रजिस्ट्री के लिए किसान जनसेवा केंद्र पर नहीं आ रहे हैं। जबतक वह केंद्र पर नहीं आएंगे तबतक फार्मर रजिस्ट्री नहीं हो सकता है। किसानों को आधारकार्ड के साथ ही खाता लेकर जनसेवा केंद्र पर आना है।
    - सुनील तिवारी, जिला प्रबंधक जनसेवा केंद्र

    फार्मर रजिस्ट्री को लेकर किसानों में जागरूकता की कमी है, इसलिए किसान निश्शुल्क सेवा होने के बाद भी जनसेवा केंद्र पर नहीं जा रहे हैं। सहकारी समितियों में खाद के लिए फार्मर रजिस्ट्री अनिवार्य कर दी गई है, इससे किसान थोड़ा सतर्क होंगे।

    - प्रेम कुमार ठाकुर, उप निदेशक कृषि गोंडा