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    लोकसभा चुनाव से पहले बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने सांसद की याचिका पर सुनाया फैसला

    Updated: Sun, 17 Mar 2024 08:52 AM (IST)

    Allahabad High Court इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कैसरगंज से भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध विचाराधीन मानहानि के मामले को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खां ने सांसद की ओर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। केवल कथनों के आधार पर किसी आरोप का विचारण नहीं किया जा सकता।

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    हाईकोर्ट ने रद्द किया बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मानहानि का केस

    जागरण संवाददाता, गोंडा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कैसरगंज से भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध विचाराधीन मानहानि के मामले को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खां ने सांसद की ओर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।

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    सांसद के अधिवक्ता पूर्णेंदु चकवर्ती, सचिन उपाध्याय व शिवेंद्र शिवम सिंह राठौड़ ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने विपक्ष व गवाहों के कथनों का संज्ञान लेकर ही मानहानि की कार्रवाई में सांसद को तलब किया था, जबकि पुलिस की जांच में पर्याप्त साक्ष्य भी मौजूद नहीं थे। केवल कथनों के आधार पर किसी आरोप का विचारण नहीं किया जा सकता।

    न्यायमूर्ति ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दो संवैधानिक प्राधिकारियों के बीच हुए विशेषाधिकार पत्राचार को विचारण का अंग नहीं बनाया जा सकता। यह आइपीसी की धारा 499 के आठवें अपवाद में इंगित है।

    वहीं विचारण न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 202 के संशोधित प्रविधान की प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया है।

    पीठ ने एमपी/एमएलए न्यायालय लखनऊ के पारित तलबी आदेश व विचारण को निरस्त करने का आदेश दिया है।

    यह था मामला

    लखनऊ के इंदिरानगर थाना गाजीपुर के अधिवक्ता व स्वतंत्र पत्रकार डा. मो. कामरान ने लखनऊ स्थित विशेष न्यायालय (एमपी-एमएलए) के न्यायालय में परिवाद दायर किया था। उन्होंने सांसद पर प्रदेश के मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को लिखे गए शासकीय पत्रों में अपमानित करने जैसे शब्दों को लिखने और बदनाम करने का आरोप लगाया था।

    मामले की सुनवाई के बाद दस जनवरी को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय/ विशेष मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए अंबरीस कुमार श्रीवास्तव ने कैसरगंज सांसद को तलब करने के लिए 20 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया था जिसके विरुद्ध सांसद ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

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