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    राम-राम करने वालों से नफरत करता था आसिफ, 1999 से आतंकी लगातार बदल रहा था अपनी पहचान; ATS का खुलासा

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Sun, 16 Jul 2023 08:57 AM (IST)

    Gonda Terrorist Case एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की जांच में पता चला है कि बरसेड़ी गांव के रंजीत सिंह ने साथ पढ़ने वाले मित्र आसिफ के पिता के माध्यम से 1999 में मुस्लिम धर्म अपना लिया था। रंजीत सिंह से सद्दाम बने आतंकी ने साजिश के तहत देहात कोतवाली के करनपुर पठानपुरवा में शफीउल्ला के नाम से वर्ष 2008 में पांच बिस्वा भूमि खरीदी।

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    राम-राम करने वालों से नफरत करता था आसिफ, 1999 से आतंकी लगातार बदल रहा था अपनी पहचान; ATS का खुलासा

    धनंजय तिवारी, गोंडा: एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की जांच में पता चला है कि बरसेड़ी गांव के रंजीत सिंह ने साथ पढ़ने वाले मित्र आसिफ के पिता के माध्यम से 1999 में मुस्लिम धर्म अपना लिया था।

    रंजीत सिंह से सद्दाम बने आतंकी ने साजिश के तहत देहात कोतवाली के करनपुर पठानपुरवा में शफीउल्ला के नाम से वर्ष 2008 में पांच बिस्वा भूमि खरीदी। इसके बाद दो कमरों का एक मकान बनवाया। इसके बाद में वह सद्दाम बन गया। उसने सद्दाम के नाम से आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास व शैक्षिक प्रमाण पत्र बनवा लिया।

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    2010 में आतंकी ने की थी शादी

    2010 में पठानपुरवा के रहने वाले मुहर्रम अली की बेटी रूबीना से विवाह किया था। उसके दो बेटे व एक बेटी है। सद्दाम की सास व रूबीना की मां आसमां कहती हैं कि वह जब भी घर आता था तो हमेशा गुमसुम रहता था।

    नमस्कार व राम-राम करने वालों को पसंद नहीं करता था। वह कुछ ही लोगों से सलाम करता था। जब वह पठानपुरवा आता था तो गांव की मस्जिद में पांच समय नमाज पढ़ने जाया करता था। दोनों बच्चों को भी पांच वक्त की नमाज पढ़ने का दबाव बनाता था।

    पांच वक्त की पढ़ता था नमाज

    पत्नी रूबीना कहती हैं कि उसे कभी यह नहीं महसूस हुआ कि वह हिंदू है। खतना होना और पांच वक्त की नमाज पढ़ने की आदत से सद्दाम पर गैर मुस्लिम होने का कभी शक ही नहीं हुआ।

    रंजीत से सद्दाम तक के सफर पर उठ रहे सवाल

    बरसेड़ी गांव का रंजीत सिंह कभी शफीउल्ला तो कभी सद्दाम शेख क्यों बना, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। अपनी पहचान छुपाने वाले सद्दाम का क्या मंसूबा था, इस पर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं।

    पत्नी व बच्चों के साथ कहीं नहीं जाता था सद्दाम

    आतंकी सद्दाम पत्नी और बच्चों को कहीं भी साथ नहीं ले जाता था। जब भी पठानपुरवा आता था तो कम ही लोगों से बात करता था। वह अक्सर घर के सामने ही बैठा रहता था। सास आसमां कहती हैं कि सद्दाम पत्नी को रुपये नहीं देता था तो इसे लेकर विवाद होता रहता था।

    नवंबर में तो सद्दाम ने रूबीना की पिटाई कर दी थी। मामला कोतवाली तक पहुंचा था। बाद में पति-पत्नी के बीच समझौता हो गया था। सद्दाम अपनी पत्नी पर शक करता था कि उसका संबंध रिश्तेदार के एक युवक से है। इसे लेकर भी विवाद हुआ था।