Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Amazing Temple: कील छुआने से ठीक हो जाता है दांत का दर्द, अंग्रेज कर्नल ब्यालू ने कराई थी इस अनोखे मंदिर की स्थापना

    By Ajay PandeyEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Tue, 05 Dec 2023 03:16 PM (IST)

    Amazing Temple - 1859 से ब्रिटिश सरकार के कर्नल ब्यालू की देखरेख में रेलवे की पटरी बिछाई जा रही थी। जंगल के दक्षिण अंग्रेज सेना का शिविर था। एक रात किरण पुंज निकलता दिखा। कर्नल ब्यालू ने सुबह वहां खुदाई कराई जहां से एक विशाल पाषाण रूप में पिंड मिला। इस पिंड को कर्नल ने वहां से हटवाने के कई प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हुए।

    Hero Image
    कर्नलगंज में स्थापित बटुक भैरवनाथ बाबा का दरबार

    पंकज मिश्र, कर्नलगंज (गोंडा)। Bhairavnath temple - अंग्रेज कर्नल ब्यालू ने भैरवनाथ मंदिर की स्थापना कराई थी। रेलवे स्टेशन के निकट श्री बटुक भैरव रुद्र पीठ मंदिर स्थित है। इनको नगर का रक्षक व कोतवाल माना जाता है। मंगलवार को मंदिर के स्थापना दिवस पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रताप से डरकर स्थापित किया था मंदिर

    जानकार बताते हैं कि यहां घना जंगल था, 1859 से ब्रिटिश सरकार के कर्नल ब्यालू की देखरेख में रेलवे की पटरी बिछाई जा रही थी। जंगल के दक्षिण अंग्रेज सेना का शिविर था। एक रात किरण पुंज निकलता दिखा। 

    कर्नल ब्यालू ने सुबह वहां खुदाई कराई जहां से एक विशाल पाषाण रूप में पिंड मिला। इस पिंड को कर्नल ने वहां से हटवाने के कई प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हुए। दिन में दूर फेंकवाते रात में वहीं मिलता। इसी बीच रात में कर्नल ब्यालू इमली के पेड़ से टकराकर घायल हो गया। तब कर्नल ने यहां मंदिर की स्थापना कराई और रेलवे लाइन बिछाने का कार्य हटा दिया। तभी से लोग पूजा पाठ करते हैं।

    व्यापारी मानते हैं नगर कोतवाल

    नगर के व्यापारी सुबह नगर कोतवाल बटुक भैरव (Batuk Bhairav) का दर्शन करके प्रतिष्ठान का ताला खोलते हैं। यहां हर मंगलवार व शनिवार को प्रसाद चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मंदिर में छह पीढ़ी तक एक महंत रहे, अब सातवें पीढ़ी में दो महंत कार्य देख रहे हैं। 

    श्री बटुक भैरव मंदिर के प्रथम महंत मत्तू गिरि महराज थे, इसके बाद तेज गिरी, उदय गिरि, रघुवीर गिरि, भैरव गिरि, थानापति गिरि महंत बने। मौजूदा सातवें पीढ़ी में दो महंत गिरजाशंकर गिरि व रमाशंकर गिरि मंदिर की व्यवस्था देखते हैं।

    कील धंसाने से दांत दर्द में मिलता है आराम

    मान्यता है कि महंत के मंत्रोचारण फूंकने के बाद दर्द वाले दांत पर लोहे की कील छुआने ढाई सौ साल पुराने इमली के पेड़ में धंसाते हैं, इससे दांत का दर्द सही हो जाता है। बटुक भैरव में आस्था व विश्वास है, जहां दांत दर्द का उपचार बरसों से होता आ रहा है, कई पीढ़ियां बीत गई।

    जयंती पर होंगे विविध कार्यक्रम

    बटुक भैरव मंदिर के महंत रमाशंकर गिरी ने बताया कि जयंती पर विविध कार्यक्रम होगा। मंगलवार को सुबह आठ बजे से बटुक भैरव पाठ, दोपहर में यज्ञ हवन पूजन, चार बजे भव्य श्रृंगार और शाम भंडारा होगा। रात साढ़े ग्यारह बजे बटुक भैरव जन्म व महा आरती का आयोजन किया जाएगा। आशीष गिरी ने बताया कि भव्य झांकी भी आयोजित की गई है।

    यह भी पढ़ें: बलरामपुर में है एक अनाेखा मंदिर, साल में एक दिन खुलता है राजमहल, डेढ़ सौ साल से परंपरा कायम

    यह भी पढ़ें: रामनगर में काली माता का अद्भुत मंदिर, प्रसाद में मिलते हैं ‘ईंट-पत्थर’, पूजा में मुस्लिम भी होते हैं शामिल