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    जन-जन के कवि अदम गोंडवी

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    Updated: Sun, 11 Sep 2016 09:45 PM (IST)

    गोंडा: रामनाथ ¨सह अदम गोंडवी। यह वह नाम है जो दुष्यंत कुमार, नागार्जुन व धूमिल की परंपरा के कवियों म

    गोंडा: रामनाथ ¨सह अदम गोंडवी। यह वह नाम है जो दुष्यंत कुमार, नागार्जुन व धूमिल की परंपरा के कवियों में शुमार है। उनकी रचना में आम आदमी, खासकर दलितों, शोषित, वंचित व उत्पीड़ित व्यक्तियों की व्यथा है और उनकी आवाज बने। उन्होंने आजादी के 30 साल बाद देश के शासकों से यह सवाल पूछा कि-सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है, दिल पे रखके हाथ कहिए देश क्या आजाद है। वह जनता का आह्वान करते हैं कि -छेड़िए इक जंग मिल जुलकर गरीबी के खिलाफ, दोस्त और मजहबी नग्मात को मत छेड़िए। अदम गोंडवी लिखते हैं कि- जब सियासत हो गई है पूंजीपतियों की रखैल, आम जनता को बगावत का खुला अधिकार है। उन्होंने जनसमस्याओं को उठाया है। अदम की शायरी का राजनीति से गहरा वास्ता है। वह राजनीति और राजनेताओं को आईना दिखाते हुए कहते हैं कि काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में, उतरा है रामराज्य विधायक निवास में। अदम की तीन रचनाएं गर्म रोटी की महक, समय से मुठभेड़, धरती की सतह पर, इन सभी की वैचारिक भूमि एक ही है। अदम उन कवियों में थे, जो शायरी को एक मकसद की तरह लेते थे। जो कुछ समाज में हो रहा है, वो उन्हें अपनी रचनाओं के माध्यम से उठाते थे। अदम गोंडवी की रचनाओं की भाषा जनता के बीच की है। सहज है। वह जनता के बीच से जनता की बात करते हैं। वह खड़ी बोली के लोक कवि हैं।

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    एक नजर अदम पर

    - जिले के आटा गांव में 22 अक्टूबर 1947 को एक साधारण किसान परिवार में रामनाथ ¨सह का जन्म हुआ। पारिवारिक पृष्ठभूमि कमजोर होने के कारण केवल प्राइमरी तक की शिक्षा पाने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। बचपन से ही कवितापाठ की ओर उनका झुकाव था। वह आसपास के मुशायरों व कवि सम्मेलनों में जाने लगे। उन्होंने तीन रचनाएं लिखीं। वर्ष 2011 में 18 दिसबंर को उनका निधन हो गया। उन्हें 1998 में दुष्यंत कुमार पुरस्कार, नोएडा से नागरिक सम्मान, माटी रत्न पुरस्कार मिल चुका है। 19 नवंबर 2011 को अदम गोंडवी को पदम विभूषण पुरस्कार देने की तत्कालीन डीएम राम बहादुर की संस्तुति फाइलों में दबी हुई है।

    - अदम गोंडवी, कबीर, निराला, मुक्तिबोध, दुष्यंत कुमार, नागार्जुन व धूमिल एक ही गोत्र के शायर है लेकिन मैं उन्हें दुष्यंत के अधिक निकट पाता हूं। उन्होंने वर्तमान व्यवस्था के यथार्थ को स्वर देते हुए उसके खिलाफ विद्रोह की कविता लिखी। अदम की शायरी सुकई, मंगरे, झुम्मन घिसियावन से बतियाती हुई बगावत का बिगुल बजाते हुए संसद को ललकारती है। इसलिए वह कहते हैं कि - जनता के पास एक ही चारा है बगावत। कुल मिलाकर अदम जनता का कवि है। उन्होंने न केवल शायरी की बल्कि शायरी को जिया भी है। वह एक महान रचनाकार थे।

    - एसपी मिश्र, संयोजक प्रगतिशील लेखक संघ

    - दुष्यंत और अदम से पहले गजल सिर्फ प्रेमी प्रेमिका के मिलन-बिछुड़न की कहानी मात्र हुआ करती थी, ¨कतु ¨हदी के कवि अदम गोंडवी ने ¨हदी गजल को जनता की आवाज बनाया। उसे एक नई आवाज, नई पहचान एवं नई परिभाषा दी। अदम गोंडवी ने भूख, गरीबी, लाचारी, सामंतों के जुल्म ज्यादती की बात कहकर मजलूमों की आवाज को शब्दों में ढालकर गजल की रचना की। अदम जी समाज के युग²ष्टा थे। उनकी सोच यद्यपि वामपंथी थी ¨कतु उन्होंने समाज के हर वर्ग के पहलुओं को बड़ी गंभीरता से देखा सुना। वह ¨हदी साहित्य के नक्षत्र है।

    - सुरेश मोकलपुरी, वरिष्ठ साहित्यकार