तीन साल तक दो किमी दूर स्टेडियम छोड़कर घर नहीं गए विष्णुकांत
इंडोनेशिया के जकार्ता में हुई पुरुष एशिया हाकी कप में कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम के खिलाड़ी विष्णुकांत सिंह ने कहा कि अब उनका लक्ष्य जुलाई में आयोजित होने वाली कामनवेल्थ गेम है। इसके लिए भारत टीम में स्थान बनाने के लिए वह जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मौधा (गाजीपुर) : इंडोनेशिया के जकार्ता में हुई पुरुष एशिया हाकी कप में कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम के खिलाड़ी विष्णुकांत सिंह ने कहा कि अब उनका लक्ष्य जुलाई में आयोजित होने वाली कामनवेल्थ गेम है। इसके लिए भारत टीम में स्थान बनाने के लिए वह जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। नौ जून से बेंगलुरु में शुरू होने वाले कैंप में वह हिस्सा लेंगे। कैंप में ही टीम का गठन होगा। कैंप में भाग लेने वाले 34 खिलाड़ियों में ही बारी-बारी से टीम गठित होती है। बताया कि शुरुआत में ऐसा भी समय आया जब तीन साल तक वह घर से मात्र दो किमी दूर स्टेडियम छोड़कर घर नहीं गए।
जर्काता में भारत की तरफ से उन्होंने सभी सात मैच खेले। उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था। मलेशिया के खिलाफ एक गोल किया था। हालांकि मैच ड्रा हो गया था। शनिवार को गांव भुझेहुवा पहुंचकर माता-पिता का आशीर्वाद लिया। ग्रामीणों ने माला पहनाकर स्वागत किया। इसके अलावा अनौनी बाजार में प्रमोद यादव व हाकी खिलाड़ी विशाल, सुशील, कामेश सिंह ने स्वागत किया। खिलाड़ी विष्णुकांत ने गुरु डा. कैलाश सिंह का पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया। विष्णुकांत ने बताया कि 2010 से लोदी सिंह द्वारिका सिंह हाकी स्टेडियम में खेल रहा हूं। तीन साल तक घर से मात्र दो किमी दूर स्टेडियम छोड़कर घर भी नहीं गया। 2013 में पटियाला साई में चयन हुआ। 2016 तक पटियाला और उसके बाद 2016 से 2018 तक साई हास्टल लखनऊ में रहा। इसके बाद एनसीओई बेंगलुरु के कैंप में चयन हो गया। पुरुष एशिया हाकी कप में खेलने का मौका बड़ी उपलब्धि है।
अगर मौका मिला तो कामनवेल्थ गेम में बेहतर प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन करूंगा। पिता प्रमेश सिंह ने बताया कि बचपन से ही खेल में रुचि होने के कारण विष्णु सुबह स्टेडियम पहुंच जाता था। विष्णु ने शंकर धाम मंदिर पर जाकर मत्था टेका और बड़े बुजुर्गों व पिता-मां का आशीर्वाद लिया। भुझेहुवा निवासी ठेकेदार पुकार ने बताया कि विष्णुकांत के खेल से प्रभावती होकर वह गांव में स्टेडियम का निर्माण कराएंगे। जिसमें बच्चे क्रिकेट, हाकी, फुटबाल व वालीबाल खेल सकेंगे। विष्णुकांत ने बताया इस उपलब्धि का श्रेय डा. कैलाश सिंह व माता पिता को है।
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