वाराणसी-गाजीपुर फोरलेन में करोड़ों का हो चुका है भुगतान, दरारें फिर भी बनी हुई हैं मेहमान
वाराणसी-गाजीपुर फोरलेन के निर्माण के चार वर्ष में ही सड़क में दरारें आ गई हैं। मरम्मत की जिम्मेदारी पीएनसी कंपनी पर थी जिसने करोड़ों रुपये वसूलने के बावजूद ठीक से मरम्मत नहीं की। अब 19 अक्टूबर को कंपनी को यह मार्ग एनएचएआई को हस्तांतरण करना है जिसके चलते आनन-फानन में मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। वाराणसी-गाजीपुर फोरलेन का निर्माण हुए लगभग चार वर्ष हो चुके हैं। इस फोरलेन की गुणवत्ता इतनी खराब रही है कि वाराणसी से आने वाली एक लेन की पूरी सड़क में दरारें आ गई हैं।
मरम्मत की जिम्मेदारी संभालने वाली पीएनसी कंपनी ने चार वर्षों में सड़क की दरारों की ठीक से मरम्मत नहीं की, जबकि उसने मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये वसूले हैं। कंपनी ने एक वर्ष में लगभग 25 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान लिया, लेकिन इन चार वर्षों में मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया। अब, 19 अक्टूबर को कंपनी को यह मार्ग एनएचएआइ को हस्तांतरण करना है, जिसके चलते उसने आनन-फानन में वाराणसी से गाजीपुर आने वाली लेन की जगह-जगह खोदाई कर मरम्मत का काम शुरू कर दिया है।
वाराणसी - गाजीपुर - गोरखपुर फोरलेन का निर्माण के बाद चार सितंबर 2021 को कैथी टोल चालू हुआ था। इसके बाद एनएएचआइ से पीएनसी कंपनी को वर्ष 2021 से अक्टूबर 25 तक मरम्मत का टेंडर किया गया था। कंपनी को वाराणसी मुख्यालय से 12 किमी बाद उमरहां से जंगीपुर तक 83 किमी की मरम्मत का जिम्मा सौंपा गया था।
फोरलेन के घटिया निर्माण के कारण शुरू से ही दरारों की समस्या बनी रही। कुछ ही दिनों में वाराणसी से गाजीपुर आने वाली लेन में दरारें पड़ गईं। वाराणसी से मऊ सीमा तक सड़क की स्थिति खराब है। प्रारंभ में कंपनी ने केमिकल के माध्यम से दरारों को भरने का प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं रहा। कई स्थानों पर दरारें चौड़ी होती गईं, जिससे गड्ढे भी बन गए हैं। कंपनी ने पिछले एक माह से तेजी से सड़क की खोदाई कर कार्य शुरू कर दिया है।
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