गाजीपुर में सात साल में बिना टेंडर ही प्रसूताओं के भोजन पर खर्च हो गए तीन करोड़ रुपये
गाजीपुर जिले में सात साल में बिना टेंडर के ही प्रसूताओं के भोजन पर तीन करोड़ रुपये तक खर्च हो गए हैं। तीन करोड़ रुपये से भोजन के मद में बिना टेंडर किए ही खर्च करने की जानकारी सामने आने के बाद से विभाग में चर्चाओं का बाजार गर्म बना हुआ है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सीएचसी पर प्रसव के बाद प्रसूताओं को नाश्ता व भोजन देने के लिए विभाग सात साल में टेंडर नहीं कर पाया है। बिना टेंडर के ही सरकारी धन का उपयोग किया गया है। इस पर तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
विभाग ने इस बार 80 लाख का टेंडर करने किया तो उसमें काफी खामियां सामने आने के बाद पिछले सात से टेंडर न होने की पोल खुली। इसको लेकर एनएचएम आफिस के अधिकारी घेरे में हैं। सरकार ने एनएचएम के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव कराने वाले प्रसूताओं 48 घंटे तक नाश्ता व भोजन की व्यवस्था की है। इसके लिए एनएचएम को हर साल वार्षिक लक्ष्य का आवंटन होता है।
हालांकि इसका खर्च प्रसव की संख्या और उन्हें दिए गए भोजन पर निर्भर है। वर्ष 2017 में एनएचएम के माध्यम से टेंडर प्रक्रिया अपनायी गयी। इसके बाद से प्रसूताओं को भोजन देने के लिए टेंडर नहीं हुआ। सिर्फ दो संस्थाओं के माध्यम से वितरण कराया जाता है। एनएचएम आफिस यह आंकड़ा बताने से परहेज कर रहा है कि पिछले सात सालों में कितनी प्रसूताओं को भोजन व नाश्ता का वितरण किया गया है।
टेंडर प्रक्रिया के सवाल पर सभी निरुत्तर हो रहे हैं। वर्ष 2017 से 20 तक औसतन 30 लाख रुपये प्रतिवर्ष बजट शासन से प्राप्त होने का अनुमान है। हालांकि इसके बाद हर साल बजट में बढ़ोत्तरी हुई है। सीएमओ डा. सुनील पांडेय ने इस साल टेंडर प्रक्रिया शुरू कराई, लेकिन स्टोर से चहेते फर्मों को टेंडर देने के खेल में निरस्त करना पड़ा। कमेटी अब दोबारा से टेंडर प्रक्रिया अपनाएगी।
पहले 90 अब 150 रुपये प्रतिदिन का खर्च
सरकार से पहले प्रतिदिन 90 रुपये प्रति प्रसूता के हिसाब से पैसा मिलता था, जिसे सरकार ने बढ़ाकर अब डेढ़ सौ कर दिया है। जनपद में 19 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिनमें से अधिकांश पर प्रसव की व्यवस्था की गई है।
एनएचएम के लेखा प्रबंधक के पास नहीं आंकड़ा
एनएचएम के लेखा प्रबंधक अशोक पांडेय के पास ही सरकार से प्राप्त बजट और खर्च का पूरा हिसाब किताब रहता है, लेकिन गड़बड़ी उजागर होने के डर से वह आंकड़ा देने से बच रहे हैं। लेखा प्रबंधक का कहना है कि यह सब डाटा सीएमओ आफिस के स्टोर के पास रहता है। उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
वर्ष- बजट
2023-24 38 लाख
2024-25 56.61 लाख
2025-26 78 लाख
(यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर आधारित है )
बोले अधिकारी
पूर्व में टेंडर वाली फर्मों को कमेटी और मुख्य चिकित्साधिकारी के अनुमोदन से एक्सटेंशन के बाद ही प्रसूताओं को भोजन देने का कार्य किया जा रहा है। इस बार फिर टेंडर कराया जा रहा है। - प्रभुनाथ, जिला प्रबंधक एनएचएम।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।