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    वीर-जवानों की नर्सरी है गाजीपुर की धरती

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 06 May 2020 06:03 AM (IST)

    वीर-जवानों की नर्सरी है गाजीपुर की धरती

    वीर-जवानों की नर्सरी है गाजीपुर की धरती

    सर्वेश कुमार मिश्र

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    गाजीपुर को यूं ही शहीदों और वीरों की धरती नहीं कहा जाता। देश की रक्षा में जब जब जान की बाजी लगानी पड़ी यह जनपद सीना चौड़ा किए सदा अगली पंक्ति में खड़ा रहा। आजादी से लेकर अब तक शायद ही ऐसी कोई लड़ाई रही हो जब यहां के वीर जवानों ने अपनी शहादत से देश का मस्तक ऊंचा न किया हो। शहीदों की लंबी श्रृंखला में सोमवार को तब एक और कड़ी जुट गई जब श्रीनगर के हंदवाड़ा के काजियाबाद सेक्टर में एक आपरेशन पर निकले नोनहरा थाने के चकदाउद गांव निवासी अश्वनी यादव जांबाजी के साथ आतंकियों का मोर्चा लेते हुए शहीद हो गया। न सिर्फ परिवार बल्कि इस शहादत पर जिले को फº है। देश सेवा का भाव यहां बच्चे-बच्चे में बसा है। सेना में तो देश भर में गहमर गांव से ज्यादा किसी गांव की भागीदारी नहीं है। पैटर्न टैंक को ध्वस्त किया था वीर अब्दुल हमीद ने

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    पाकिस्तान के खिलाफ जंग में असाधारण बहादुरी का परिचय देने वाले परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद ने 1965 की भारत-पाक युद्ध में अमेरिकी निर्मित पैटर्न टैंक को ध्वस्त कर न सिर्फ दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे, बल्कि भारतीय खेमे में जबर्दस्त जोश का संचार किया था। इसी तरह महावीर चक्र विजेता रामउग्रह पांडेय का नाम भी शहीदों की श्रेणी में गर्व से लिया जाता है। कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे छह जवान

    गाजीपुर : 1999 में हुए भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध में भारत के तकरीबन 527 जवान शहीद हो गए थे और 1363 जवान घायल हुए थे। 527 शहीद में से छह जवान इस जिले के थे। शेषनाथ यादव, संजय सिंह यादव, कमलेश सिंह, जय प्रकाश यादव, रामदुलार यादव और इश्तियाक गाजीपुर जिले के रहने वाले थे।

    एशिया के सबसे बड़े गांव के घर-घर में फौजी

    गाजीपुर : गहमर न सिर्फ एशिया का सबसे बड़ा गांव है, बल्कि यहां के 12 हजार फौजी भारतीय सेना में तैनात हैं। 15 हजार से अधिक भूतपूर्व सैनिक हैं। गांव में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिसमें दादा भूतपूर्व सैनिक है तो बेटा सेना का जवान, वहीं पोता सैनिक बनने की तैयारी में जुटा हुआ है। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हो या 1965 या फिर 1971 का युद्ध या कारगिल की लड़ाई, यहां के फौजियों ने सभी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। विश्वयुद्ध के समय में अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे जिनमें 21 शहीद हुए थे। एक लाख से अधिक है इस समय यहां की आबादी। आजादी में भी रहा अहम अंशदान

    जिले के मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र में स्थित शेरपुर को वीरों का गांव कहा जाता है। 1857 में अगस्त क्रांति में मुहम्मदाबाद तहसील प्रांगण में तिरंगा फहराते समय अंग्रेजों की गोली खाकर टीम लीडर डा. शिवपूजन राय, वंशनारायण राय-प्रथम, रामबदन उपाध्याय, वशिष्ठ राय, ऋषेश्वर राय, वंशनारायण राय-द्वितीय, नारायण राय, राजनारायण राय शहीद हो गए। इसके बाद अंग्रेजों के हमले में 29 अगस्त 42 को गांव में रमाशंकर लाल, खेदन सिंह यादव तथा महिला राधिका पांडेय ने हंस-हंस कर अपनी जान दे दी।