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अकीदत से मनाया गया बारावफात का पर्व

नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मंगलवार को बारावफात का पर्व पूरी अकीदत के साथ मनाया गया। लोगों ने घरों एवं मस्जिदों में पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर कुरानख्वानी की और नियाज फातिहा कराया। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में लोगों ने घरों एवं मोहल्लों को झालर-झंडों से सजाया था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 06:08 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 09:22 PM (IST)
अकीदत से मनाया गया बारावफात का पर्व
अकीदत से मनाया गया बारावफात का पर्व

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मंगलवार को बारावफात का पर्व पूरी अकीदत के साथ मनाया गया। लोगों ने घरों एवं मस्जिदों में पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर कुरानख्वानी की और नियाज फातिहा कराया। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में लोगों ने घरों एवं मोहल्लों को झालर-झंडों से सजाया था। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में देर रात तक ईद-ए-मिलादुन्नबी का सिलसिला चलता रहा। हालांकि कोविड गाइडलाइन के पालन में बहादुरगंज को छोड़कर जुलूसे मोहम्मदी कहीं नहीं निकाला गया। लोग अन्य धार्मिक आयोजन करने में लगे रहे। नगर के टाउनहाल, नखास, पांच रास्ता आदि मुस्लिम इलाकों में पुलिस बल तैनात थी।

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नगर के टाउनहाल, नखास, बरबरहना, नुरुद्दीनपुरा, जुड़नशहीद आदि मोहल्लों में खूब रौनक रही। घरों में विभिन्न तरह के पकवान बनाए गए थे। लोग एक-दूसरे को मुबारकबाद से पर्व की बधाई दे रहे थे। भदौरा : पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की योमे पैदाइश (ईद मिलादुन्नबी) का जश्न पूरे इलाके में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। यूं तो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रबीउल अव्वल का पाक माह शुरू होते ही रसूल के योमे पैदाइश पर घर व इबादतगाहों को रोशनी से चमका सजा दिया जाता है। मुस्लिम बहुल गांवों में जहां हरे परचम लहराने लगे थे तो नबी की शान में तकरीर आदि के आयोजन शुरू हो गए। कमसार - ओ - बार के गांवों में लोगों ने इबादत की और आपसी भाईचारे व सभी प्रेम रहे इसके लिए दुआ की। दिलदारनगर : मस्जिद गौशाल वरा में जलसा के रूप में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया गया। जलसे में सभी ने आपसी मोहब्बत और मिल्लत का पैगाम देते हुए मुल्क में अमन चैन और हिफाजत के लिए हाथ उठा कर दुआ मांगी ।

इस्लाम के बताए रास्ते पर चलना ही हमारा दायित्व

मुख्य तकरीर प्रयागराज के इलाहाबाद कारी अयूब मौलाना ने करते हुए कहा कि इस्लाम के बताए रास्ते पर चलना ही हमारा दायित्व है। नबी ने दीन दुखियों की सेवा का भी संदेश दिया है। इस मौके पर रियाज शमशी, मौलाना मुस्ताक, मौलाना नदीम, मौलाना हैदर, मौलाना सुहैल, मौलाना राशिद, मौलाना इनाम काशमी, कारी ओहाबुद्दीन मौजूद रहे। शांति व सुरक्षा के लिए थाना प्रभारी न कमलेश पाल अपने सहयोगियों के साथ चक्रमण करते रहे। निकाला गया जूलूस-ए-मुहम्मदी

बहादुरगंज : सुबह कुरानख्वानी व लोगों ने पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में जुलूस निकाला। जुलूस बीच बीच में रुक कर नाते पाक पढ़ता रहा और नारे तकबीर नारे रिसालत से गूंज रहा था। जुलूस परंपरागत मार्ग पठान टोली के रास्ते हनुमान मंदिर, बरतर, दर्जी टोला, गन फैक्ट्री, मुख्य बाजार, पुरानीगंज, भूमिहार टोली होते हुए मदरसा समसिया रजा उल उलूम के सामने जुलूस समाप्त हुआ। वही मौलाना शोएब साहब बरकाती ने पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी प्राणी एक समान होते हैं किसी प्राणी को दुख नहीं देना चाहिए। इस अवसर पर पुलिस चौकी इंचार्ज सुनील कुमार दुबे, मोहम्मद अली खान, हाफिज शौकत अली हबीबी, बबलू खान, परवेज खान, नौशाद अयान, निजामुद्दीन खान, पल्लू अंसारी, रईस खान आदि थे। जामा मस्जिद बारा पर लगाया परचम

भदौरा : कोविड गाइडलाइन के पालन में इस बार बारा गांव में जुलूस नहीं निकाला गया। पूरब मोहल्ले में स्थित जामा मस्जिद सहित मझलीपट्टी, मस्तानबाग, हाजी साहब वाली मस्जिद पर परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। जामा मस्जिद सहित अन्य मस्जिद व इबादतगाह को रंग - बिरंगे आकर्षक झंडे व झालरों से सजाया गया है तो सरकार की आमद मरहबा, आका की आमद मरहबा से लेकर या मुस्तफा के नारे बुलंद होते रहे।

खानपुर - क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को बड़े ही श्रद्धा, विश्वास और उमंग उत्साह के साथ ईद-ए- मिलादुन्नबी के रूप में मनाया। मिलादुन्नबी एक ऐसा त्योहार है जो इस्लाम के मानने वाले हर व्यक्ति के लिए खास महत्व रखता है। खानपुर, अमेहता, रामपुर, नायकडीह, अनौनी, दरवेपुर, बहेरी आदि

गांवों के मस्जिदों व घरों में पवित्र कुरान को पढ़ा गया और नबी के बताए नेकी के रास्ते पर चलने के लिए संकल्प लिया गया। ईद-ए-मिलादुन्नबी पर रातभर प्रार्थनाएं हुईं और जुलूस की बजाय लोग अपने घर के सदस्यों के साथ हजरत मोहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़े।


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