शुगर की 200 रुपये की दवा जनऔषधि में मात्र 24 में
अधिकतर डाक्टर दवा के साल्ट की जगह ब्रांडेड दवा लिखते हैं। ...और पढ़ें

शुगर की 200 रुपये की दवा जनऔषधि में मात्र 24 में
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : अगर आपको शुगर की समस्या है और चिकित्सक इस दवा का साल्ट ‘ग्लिमिप्राइड एंड मेटफार्मिंन’ लिखकर देता है तो यह प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र पर मात्र 24 रुपये में मिल जाएगी। अगर वही चिकित्सक यही दवा किसी कंपनी या ब्रांड के नाम से लिखकर देता है तो उसकी कीमत बढ़कर 200 से 300 रुपये हो जाती है। अधिकतर डाक्टर दवा के साल्ट की जगह ब्रांडेड दवा लिखते हैं। समझदार लोग डाक्टरों के इस खेल को समझते हैं और जेनरिक दवा ही लेते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के या कम पढ़े लिखे लोग चिकित्सकों के जाल में उलझकर ब्रांडेड महंगी दवाएं खरीद लेते हैं। सरकार ने आम लोगों को सस्ते मूल्य पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जगह-जगह जनऔषधि केंद्र खोल रखा है। लोगों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अपेक्षित नहीं।
आम तौर पर सभी दवाएं एक तरह का "केमिकल साल्ट' होती हैं। रिसर्च के बाद इन्हें अलग-अलग बीमारियों के लिए बनाया जाता है। जेनरिक दवा जिस साल्ट से बनी होती है, उसी के नाम से जानी जाती है। जैसे- दर्द और बुखार में काम आने वाले पैरासिटामोल साल्ट को कोई कंपनी इसी नाम से बेचे तो उसे जेनरिक दवा कहेंगे। वहीं, जब इसे किसी ब्रांड जैसे- क्रोसिन के नाम से बेचा जाता है तो यह उस कंपनी की ब्रांडेड दवा कहलाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि गैस की जेनरिक दवा ‘पैंटाप्राजोल एन डामपेरिडान’ जनऔषधि केंद्र पर केवल 22 रुपये प्रति पत्ता उपलब्ध है, जबकि किसी ब्रांड के नाम से यह दवा बाजार में 120-170 रुपये पत्ता में मिलती है। राजकीय मेडिकल कालेज से संबद्ध जिला अस्पताल में जनऔषधि केंद्र के संचालक सुधीर कुशवाहा कहते हैं कि हमारे यहां लगभग सभी प्रमुख दवाएं उपलब्ध हैं, जो बाजार से 40-90 फीसद तक सस्ती हैं।
रामू की गाय का दूध...
: जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. केके सिंह जेनरिक व ब्रांडेड दवाओं के अंतर को और आसानी से समझाते हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई डाक्टर रोगी से कहे कि गाय का दूध पीना तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा, ऐसे में वह रोगी किसी भी गाय का दूध पी सकता है, इसे जेनरिक कहा जाएगा। जब वही डाक्टर रोगी से कहे कि तुम रामू की गाय का दूध पीना, बहुत फायदा करेगा तो यह ब्रांडेड हो जाता है। इसका अर्थ यह निकला कि डाक्टर जानबूझकर रामू का दूध रोगी को पिलाना चाहता है, इसके लिए वह रामू से कमीशन लेता है। ऐसे में रामू रोगी से अपने दूध का मूल्य के साथ डाक्टर का कमीशन भी जोड़कर वसूल करेगा।
दवा की कीमत पर नियंत्रण जरूरी
: एसीएमओ डा. एसके मिश्रा बताते हैं कि जेनरिक दवा ब्रांडेड भी होती है। एक ही कंपनी जेनेरिक और ब्रांडेड, दोनों दवाएं बनाती हैं, लेकिन उनकी कीमतों में काफी अंतर होता है। ऐसे में अगर सरकार लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करवाना चाहती है तो उनकी कीमतों पर नियंत्रण जरूरी है। जेनरिक दवाओं के मामले में भी बड़ा खेल होता है। ऐसे में इनकी कीमतों पर नियंत्रण ही रोगियों को सस्ती दवाएं मिलने का रास्ता खोल सकता है।
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दवा का नाम जनऔषधि ब्रांडेड
1-गैस की दवा पैंटाप्राजोल एन डामपेरिडान- 22 100-170
2-एंटीबायोटिक दवा सिफिक्साइम एंड ओफ्लाक्सासीन- 46 170-250
3-शुगर की दवा ग्लिमिप्राइड एंड मेटफार्मिंन- 24 200-300
4-बच्चेदानी संबंधित दवा प्रोगेंस्ट्रान कैप्सूल- 114 300-400
5-ब्लडिंग की दवा ट्रेनेक्सामिक एसिड एंड मेफनामिक एसिड- 75 175-300

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