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महिला अधिकारों के लिए संघर्ष की अग्रदूत थीं सावित्रीबाई फुले

गाजीपुर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार को महिला शिक्षिका एवं समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उनको नमन किया गया। इ

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 07:31 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 07:31 PM (IST)
महिला अधिकारों के लिए संघर्ष की अग्रदूत थीं सावित्रीबाई फुले
महिला अधिकारों के लिए संघर्ष की अग्रदूत थीं सावित्रीबाई फुले

जासं, गाजीपुर : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार को महिला शिक्षिका एवं समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उनको नमन किया गया। इस मौके पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर लोगों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।

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देवकली : अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा की ओर से सावित्रीबाई फुले की जयंती पर जीवन चरित्र, व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारक तथा महिला अधिकारों के लिए संघर्ष की अग्रदूत थीं। सामाजिक चेतना के लिए उनका संघर्ष देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। इस अवसर पर नरेन्द्र कुमार मौर्य, प्रमोद मौर्य, धर्मराज मौर्य, रामलाल मौर्य, हंसराज मनोज, बच्चन, पतिराम कुशवाहा, सीताराम पुजारी, डा. संजय कुशवाहा आदि थे।

रेवतीपुर : क्षेत्र के हसनपुरा गांव में सावित्रीबाई फुले, ज्योतिबाफुले, भीमराव अंबेडकर, कांशीराम के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई । इसके बाद गांव विधवा, विकलांग एवं वृद्धजनो को 180 कंबल, टोपी, गलाबंद का वितरण किया गया । पूर्व जिलापंचायत सदस्य भोला नाथ कहा कि देश के साबित्रीबाई फुले का योगदान भुलाया नहीं जा सकता । सामाजिक कुप्रथा को तोडकर शिक्षा ग्रहण की तथा देश की सारी नारी जातीय को शिक्षा के माध्यम से जागरूक किया । जय प्रकाश बौद्ध ने कहा कि सावित्रीबाई फुले को भारत की प्रथम महिला शिक्षिका का गौरव प्राप्त हुआ था। इस मौके सुमन देवी, रामप्रवेश भारती, अठहठा भुआल गौड, मुकेश राजभर आदि थे। अध्यक्षता सुबेदार शिवबचन ठाकुर व संचालन शिवकुमार कवि ने किया ।

---- सावित्री बाई ने महिलाओं के लिए किया था क्रांतिकारी प्रयास

खानपुर : रमाशंकर इंटर कालेज में बालिका शिक्षा व महिला जागरुकता की प्रतीक सावित्री बाई फुले की जयंती पर उनको याद किया गया। रामबचन यादव ने कहा कि सावित्री बाई ने धार्मिक व समाजिक परंपरा में शूद्रों एवं महिलाओं के लिए तय स्थान को आधुनिक भारत में सुधार करने की एक क्रांतिकारी कोशिश की थी। रत्ना त्रिपाठी ने कहा कि सावित्रीबाई के मृत्यु के सवा सौ साल बाद भी देश मे बालिका शिक्षा सुरक्षा व संरक्षा की स्थित बेहतर नहीं हुई है। अब हर महिला को अपने स्तर पर सावित्री बाई बनना पड़ेगा। इस मौके पर मुन्ना राजभर, सुजीत त्रिपाठी, दिनेश कुमार, श्वेता कुमारी, रामजी शर्मा, नीलम देवी, शिवशंकर, राहुल, अर्चना कुमारी आदि थे।


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