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    अंतिम समय में न पत्नी आई देखने... न बेटे ने दिया कंधा, वृद्धाश्रम बना सहारा; बहुत पीड़ादायक है बुजुर्ग की कहानी

    Updated: Wed, 28 May 2025 04:54 PM (IST)

    गाजीपुर के अनाज व्यापारी गौरीशंकर की दुखद कहानी सामने आई है। परिवार ने अंतिम समय में साथ छोड़ दिया। पत्नी ने मरने की खबर तक न देने का संदेश भिजवाया। वृद्धाश्रम की महिलाओं ने सहारा दिया और अंतिम संस्कार किया। आर्थिक तंगी और बेटों द्वारा घर से निकाले जाने के बाद गौरीशंकर वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर थे।

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    अपनों की राह देखते-देखते ठहर गई सांसें (गौरीशंकर गुप्ता, फाइल फोटो)

    संवाद सहयोगी, गाजीपुर। यह हृदयविदारक कहानी है कासिमाबाद के अनाज कारोबारी गौरीशंकर की, जिन्होंने आजीवन जी तोड़ मेहनत कर न सिर्फ बच्चों की परवरिश की, बल्कि उन्हें पैरों पर खड़ा होने के काबिल बनाया, लेकिन जब उनका अंतिम समय आया तो अपनों ने ही साथ छोड़ दिया।

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    पत्नी-बेटे की राह देखते -देखते वह दुनिया छोड़ गए, लेकिन परिवार वाले झांकने तक नहीं आए। जिस पत्नी ने लाल जोड़ा पहनकर सात जन्मों तक साथ रहने का वादा किया था, वह अंतिम दर्शन के लिए भी नहीं आई। इतना ही नहीं पत्नी ने अपने भाई से संदेश भिजवा दिया कि अगर वह मर जाएं ताे हमें सूचना मत देना।

    अंत में गौरीशंकर की मौत के बाद न पत्नी, बेटे-बहू व बेटियों ने कंधा दिया और न ही कफन। वृद्धाश्रम की महिलाओं ने उन्हें कंधा दिया और उनका अंतिम संस्कार किया। परिवार की बेरूखी और वृद्धाश्रम के ममता की यह कहानी बहुत ही पीड़ा देने वाली है।

    गौरी शंकर के तीन पुत्र और दो पुत्रियां हैं, सबकी शादी हो गई है। वह गला व्यापारी का काम करते थे। उन बकाया पैसा नहीं मिलने से परेशान होकर व्यापार छोड़ दिया। जिन लोगों से अनाज खरीदे थे, उनका पैसा नहीं दे पाए, जिसकी वजह से लोग घर पर पैसा मांगने आते थे।

    बदनामी की वजह से लड़के और बहुओं ने उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद वह इधर-उधर भटकते रहे। करीब आठ वर्ष पहले जंगीपुर स्थित अपने ससुराल पहुंचे। यहां कुछ दिन रहे। इसके बाद उन्हें वर्ष 2019 में वृद्धाश्रम लाया गया। जब वह वृद्धाश्रम आए थे तो उनकी उम्र 85 वर्ष थी।

    तब से वह वृद्धाश्रम में अपना जीवन-यापन करते थे। पिछले पांच महीने से बिस्तर पर पड़े थे। आश्रम के कर्मचारी उनकी सेवा करते थे। 25 मई को उनका निधन हो गया। उनके ससुराल में सूचना देने पर उनके साले आए।

    वृद्धाश्रम की अधीक्षक ज्योत्सना सिंह ने साले से कहा कि परिवार को सूचित कर दीजिए। इस पर बताया कि गौरशंकर की पत्नी (उसकी बहन) पांच दिन पूर्व मायके आईं थीं और कह कर गईं थीं कि अगर वह मर भी जाएं तो हमें सूचना मत देना। अब ऐसे समाज को क्या कहा जाए?

    वृद्धाश्रम की अधीक्षक ज्योसना सिंह और कर्मियों की ममता की सभी चर्चा कर रहे हैं कि एक परिवार की तरह न सिर्फ गौरी शंकर गुप्ता की सेवा की, बल्कि उनका अंतिम संस्कार भी किया। अधीक्षक ज्योत्सना सिंह एवं वृद्धाश्रम में रह रहीं महिलाएं रीता, सुमन व मंजू ने कंधा देकर विदा किया।

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