जिले की महज 3.7 फीसद भूमि है वनाच्छादित
गाजीपुर प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए किसी भी भूगाग पर कम से कम एक तिहाई भूभाग पर वन क्षेत्र होना चाहिए लेकिन अपना जिला तो इसमें एक दम से फिसड्ड ...और पढ़ें

जासं, गाजीपुर : प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए किसी भी भूगाग पर कम से कम एक तिहाई भूभाग पर वन क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन अपना जिला तो इसमें एक दम से फिसड्डी है। जिले के महज 3.7 फीसद भूभाग पर ही वन क्षेत्र है और वो भी संकट में है। अगर यही हालात रहे तो यह क्षेत्रफल और कम हो जाएगा। अगर हमें पृथ्वी पर जीवन बचाना है तो वन क्षेत्रफल को हर हाल में बढ़ाना होगा।
धरती की सुंदरता पेड़-पौधों पर निर्भर है। इसके बगैर प्रकृति वीरान लगती है। पेड़-पौधों का महत्व हम धरतीवासियों को पता है लेकिन फिर भी हम इन बातों पर कुछ विशेष ध्यान नहीं देते हैं। प्राचीन काल में वृक्षों ने ही मानव जाति को कई प्राकृतिक आपदाओं से बचाया है। ते•ा बारिश और तेज धूप से मनुष्य की रक्षा की है। मनुष्य अपने घरों, कारखानों, स्कूलों, शॉपिग मॉल बनाने के लिए वृक्षों की कटाई कर रहे हैं। कई पेड़ रोजाना काटे जाते है। अगर वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों को आंकड़ा लिया जाए को इनकी संख्या बहुत कम है। कागजों पर तो पौधे बहुत लगाए जाते हैं लेकिन अधिकतर उनमें से पनपे बिना ही रह जाते हैं। भूभाग का एक तिहाई क्षेत्र वनाच्छादित होना चाहिए। लेकिन हकीकत में वन विभाग इन आंकड़ों से काफी पीछे है। अगर नजर डाली जाए तो इसके सापेक्ष अपना जिला कहीं से भी खरा नहीं उतरता है।
------------- : पौधों के ज्यादा रहने से मिट्टी का क्षरण नहीं होता है। साथ ही मिट्टी के पोषक पदार्थों की मात्रा बनी रहती है। पेड़ होते हैं तो इससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है। इनके रहने से वाटर लेवल बना रहता है। धरती पर पेड़ों के रहने से वातावरण में प्रदूषण कम हो जाता है। पेड़ कार्बनडाइआक्साइड को अवशोषित कर अपना भोजन बनाते हैं और वातावरण को कार्बनडाइ आक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। - डा.प्रमोद कुमार मिश्र, पर्यावरणविद, पीजी कालेज गाजीपुर ।
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- धरती पर जितने भी पेड़ पौधे हैं यह सारे मनुष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इनसे काफी एलीमेंट प्राप्त किए जाते हैं। इनसे जो इसेंशियल आयल प्राप्त किए जाते हैं। वे मनुष्य के जीवन में काफी काम आते हैं। इनके फूलों एवं पत्तों से भी काफी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इतना ही नहीं इनसे प्राकृतिक प्रोडक्ट भी तैयार किए जाते हैं जो हार्मफुल नहीं हैं। - जेके राव, विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान, पीजी कालेज गाजीपुर ।
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: वन विभाग के पास विभाग की कोई भूमि नहीं है। वन विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पौधे लगाए जाते हैं और उनकी देखभाल भी की जाती है लेकिन विकास के नाम पर हो रहे निर्माण के चलते हजारों की संख्या में पेड़-पौधों को काट कर नष्ट कर दिया जाता है। बीते दिनों सड़कों का चौड़ीकरण होने के कारण काफी संख्या में पौधे काट दिए गए। इसी प्रकार रेलवे लाइन के दोहरीकरण के चलते काफी पौधे काट दिए गए।- जीसी त्रिपाठी, डीएफओ, गाजीपुर :

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