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    राज्यसभा में उठा जागरण में प्रकाशित गाजीपुर-मऊ रेललाइन परियोजना बंद होने का मुद्दा

    By shashwat mishraEdited By: Jagran News Network
    Updated: Thu, 18 Dec 2025 09:51 PM (IST)

    जागरण संवाददाता गाजीपुर ...और पढ़ें

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    राज्यसभा में उठा जागरण में प्रकाशित गाजीपुर-मऊ रेललाइन परियोजना बंद होने का मुद्दा

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर : गाजीपुर जिले से जुड़ी दो महत्वपूर्ण रेल परियोजनाओं का मुद्दा राज्यसभा सदस्य डा. संगीता बलवंत बिंद ने गुरुवार को उच्च सदन में उठाया। उन्होंने जनपद की व्यस्त रेलवे क्रासिंगों पर ओवरब्रिज/अंडरपास निर्माण और गाजीपुर–मऊ रेल लाइन विस्तारीकरण परियोजना को पुनः शुरू कराने की मांग की। दैनिक जागरण ने रेलवे क्रासिंगों पर लगने वाले जाम से लोगों को ही रही परेशानियों और गाजीपुर-मऊ रेल लाइन का विस्तारीकरण रुकने की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

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    डा. बिंद ने कहा कि दिलदारनगर, भदौरा, दुल्लहपुर, सैदपुर, सहेड़ी, महराजगंज बाजार और फुल्लनपुर जैसे प्रमुख रेलवे क्रासिंगों पर प्रतिदिन हजारों वाहन और पैदल यात्री फाटक बंद होने के कारण घंटों जाम में फंस जाते हैं। इससे समय की बर्बादी होने के साथ दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इन स्थानों पर ओवरब्रिज या अंडरपास बनने से ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी और आवागमन सुगम होगा। दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को एजेंडा कालम में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। दैनिक जागरण ने 15 दिसंबर के अंक में प्रथम पेज पर 'रेलवे ने रोकी गाजीपुर-मऊ रेल लाइन विस्तारीकरण परियोजना''' नामक शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसका संज्ञान राज्यसभा सदस्य ने सदन को बताया कि गाजीपुर–मऊ रेल लाइन विस्तारीकरण परियोजना पूर्वांचल के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अंग्रेजों के शासनकाल में बने दिलदारनगर-ताड़ीघाट रेल मार्ग से जुड़े ताड़ीघाट स्टेशन तक परिचालन 2023 से पहले होता रहा है। 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ताड़ीघाट से गाजीपुर सिटी तक रेल मार्ग तथा गंगा पर डबल डेकर रेल सह रोड ब्रिज परियोजना की आधारशिला रखी थी। इसका एक हिस्सा पूरा भी हो चुका है, लेकिन गाजीपुर सिटी से मऊ तक प्रस्तावित रेल लाइन नहीं बनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस परियोजना के पुनः शुरू होने से शिक्षा, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। दिल्ली–हावड़ा रेल लाइन को वाराणसी–मऊ–छपरा मार्ग से जोड़ने पर पूर्वी उप्र के साथ बिहार को भी लाभ मिलेगा।