जिस हरिओम राय से थी मुख्तार अंसारी के भाई की अदावत, उसने ही लगाई अफजाल के बगीचे के आम की बोली
यह कहानी सिर्फ आम की नीलामी की नहीं है। कहानी है सियासत रसूख रंजिश अदावत और एक जिद की। यह कहानी है ताकतवर और निरुपाय होने के अंतर की। कहानी के केंद्र में हैं बसपा के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की पत्नी के नाम वाली जमीन पर बगीचे के आम।

शिवानंद राय, गाजीपुर: यह कहानी सिर्फ आम की नीलामी की नहीं है। कहानी है सियासत, रसूख, रंजिश, अदावत और एक जिद की। यह कहानी है ताकतवर और निरुपाय होने के अंतर की। कहानी के केंद्र में हैं बसपा के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की पत्नी के नाम वाली जमीन पर बगीचे के आम।
मौसम आम का है। जमीन पहले ही प्रशासन ने कुर्क कर रखी है। इस बगीचे के आम उदास थे। प्रशासन ने तीन बार नीलामी की कोशिश की। हर बार बोली अधिक होने की बात कहकर लोग लौट जाते। अंततः तीसरी बार में शनिवार को नीलामी हुई।
हरिओम राय ने लगाई बोली
प्रशासन ने माना कि 50 क्विंटल आम हैं और इनकी बोली 1.10 लाख रुपये लगाकर मांचा के हरिओम राय ने बोली अपने नाम की। हरिओम का आरोप है कि अफजाल ने उन पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराए थे। हरिओम राय के लिए भांवरकोल के धनेठा का यह बगीचा अपरिचित नहीं है।
जिस जमीन पर आम का बगीचा है, अफजाल अंसारी ने उनके चाचा से ली थी। हरिओम के परिवार का आरोप है कि अफजाल अंसारी ने उनके खिलाफ कई बार अपने राजनीतिक प्रभाव से केस दर्ज कराया। हरिओम राय पर भी गुंडा एक्ट का केस दर्ज हुआ। आक्रोश पनपा, लेकिन रसूख के आगे मौन रहा। समय ने करवट ली।
शनिवार का दिन शायद बरसों बाद हरिओम राय के लिए उस आक्रोश को आवाज देने का मौका लाया और उन्होंने नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाकर बगीचे के आम अपने नाम किए।
हरिओम के पिता व भाई पर दर्ज कराया था केस
अफजाल अंसारी ने हरिओम के पिता विनय राय के हिस्सेदारों से बगीचा व जमीन खरीदी थी। बगीचे में मेड़बंदी नहीं थी। अफजाल के आगे किसी की बोलने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन अपना बाग व जमीन बचाने के लिए विनय राय आगे आए तो उन पर फर्जी हरिजन एक्ट व गुंडा एक्ट का मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
अफजाल के फार्म हाउस व बाग की रखवाली करने वाले सगीर ने जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया। विनय राय का कहना है कि उन्हें परेशान करने के लिए उनके दोनों बेटों पर गुंडा एक्ट लगवाया गया था, लेकिन वह कभी झुके नहीं।
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