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    Ghazipur News: वाराणसी के कैथी टोल प्लाजा पर चालू नहीं लेन का कांटा, ओवरलोड वाहनों से एक बराबर वसूली

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 04:51 PM (IST)

    वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन के कैथी टोल प्लाजा पर ओवरलोड वाहनों से मनमानी वसूली हो रही है। बिना वजन किए ही सभी वाहनों से एक समान शुल्क वसूला जा रहा है। पहले भी शिकायत पर जुर्माना लगा था पर स्थिति जस की तस है। एनएचएआई अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप है। दैनिक जागरण की खबर के बाद जांच हुई थी पर अब लीपापोती की जा रही है।

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    गाजीपुर: वाराणसी स्थित सीमा पर बना टोल प्लाजा।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन के वाराणसी के कैथी टोल प्लाजा पर गड़बड़ी नहीं रुक रही है। लेन में बिना कांटे के ओवरलोड वाहनों से शुल्क की मनमानी वसूली की जा रही है। वाहनों पर ओवरलोड सामानों का वजन भले ही अलग-अलग होता है, लेकिन टोल वसूल करने वाली कंपनी बावजूद फास्टैग के अतिरिक्त एक समान 2325 रुपये ओवरलोड शुल्क की वसूली कर रही है।

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    नियमानुसार, वजन के हिसाब से ओवरलोड वसूली होने चाहिए। पूर्व में दैनिक जागरण के फास्टैग के अतिरिक्त ओवरलोड शुल्क वसूली में अनियमितता उजागर करने पर एनएचएआई ने 10-10 लाख रुपये का दो बार जुर्माना लगाया था। तीसरी बार अनियमितता मिलने पर कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का प्रविधान है।

    लेन में बिना कांटे के चालू किए ही वजन अंकित किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि सभी ओवरलोड वाहनों से फास्ट ट्रैक फीस के अलावा 2335 रुपये की वसूली हो रही है, जबकि एनएचएआई का आदेश है कि सभी से वजन के हिसाब से वसूली हो। 

    ऐसा नहीं कि सभी वाहनों को पर ओवरलोड एक जैसे ही है। सभी वाहनों पर अलग-अलग वजन रहता है। अधिक वजन होने पर माल को वहां अनलोड किया जाए, लेकिन टोल वसूली करने वाली पाथ कंपनी ने लेन में कांटा न लगाकर मनमानी वसूली कर रही है। 

    पूर्व में दैनिक जागरण के खुलासे के बाद कैथी टोल प्लाजा पर वसूली करने वाली पाथ इंडिया कंपनी पर एनएचएआई से दो बार में दस-दस लाख रुपये का जुर्माना लग चुका है। 

    नियमानुसार, तीसरी बार अनियमितता पकड़े जाने पर कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का प्राविधान है। उधर, एनएचएआई के पीडी पंकज मिश्रा से इस बाबत संपर्क नहीं हो सका।

    दैनिक जागरण की खबर पर हो चुकी जांच

    दैनिक जागरण ने टोल पर व्याप्त अनियमितता को उजागर किया तो एनएचएआई मुख्यालय ने जांच के आदेश दिए। तत्कालीन पीडी ने गड़बड़ी पकड़ी। इसके बाद 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। अब एनएचएआई के अधिकारी लीपापोती में जुटे हैं।